13.6.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 13 जून 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०५० वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है रुधिरपायिन् -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  13 जून 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०५० वां सार -संक्षेप

¹ रुधिरपायिन् =राक्षस



भारतवर्ष सत्यानुभूति की पवित्र धरती है परम सत्य की खोज के इस सनातन तीर्थ में सत्य की  खोज करने वाले ऋषियों मुनियों मुमुक्षुओं सत्यदर्शियों की संख्या अनगिनत है


परम सत्य एक है लेकिन जब हम देखेंगे तो इसकी लाखों अभिव्यक्तियां मिलेंगी 

एकं सत् विप्राः बहुधा वदन्ति 

सत्य एक है लोग उसे अलग अलग प्रकार से बोलते हैं द्वैत शुद्धाद्वैत द्वैताद्वैत केवलाद्वैत विशिष्टाद्वैत ज्ञान मार्ग भक्ति मार्ग योग मार्ग आदि 

भारत भूमि की इसी तत्त्व -जिज्ञासा से संपूर्ण विश्व में ज्ञान की अजस्र सरिता प्रवाहित हुई 

जो ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे वे इससे लाभान्वित भी हुए 

सनातन  चिरन्तन भारतीय यात्रा का केन्द्र बिन्दु एक ही रहा कि अणु आत्मा और विभु आत्मा में एक सम्बन्ध है लेकिन भारत ने किसी एक ही प्रज्ञावान् एक ही देवता /देवदूत एक ही प्रतीति पर कभी भी हठधर्मिता नहीं दिखाई

 दीनदयाल विद्यालय,जो अनेक सांसारिक अपघातों को झेलने वाले अद्भुत विलक्षण महापुरुष दीनदयाल जी के नाम पर बना,के  हम छात्र सितम्बर में राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रहे हैं 


हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी



जिसमें  अपने भावों में गाय गंगा गायत्री गीता बसाने वाले हम छात्र समाज के उस वर्ग को, जो भारतभूमि को अपना मानता है, को बताना चाह रहे हैं कि हम कौन हैं हमारे उद्देश्य क्या हैं और हम यह संदेश भी देना चाह रहे हैं कि हमारी अनुभूति को व्यापकता प्राप्त करने की आवश्यकता क्यों है

वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः 

हम अपने राष्ट्र को परम वैभवशाली बनाना चाहते हैं 

प्रपंच मुक्त होकर हमें इन विषयों के लिए कुछ समय निकालना होगा हममें से कोई एक समय निकालकर समर्पित होकर आचार्य जी के साथ बैठकर कुछ points बना ले

अधिवेशन के प्राण -तत्त्व  को परिपुष्ट करने की आवश्यकता है


शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा चार आयाम हैं जिसका मूल है शिक्षा


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने दीनदयाल जी का संक्षिप्त जीवनपरिचय दिया श्री सुरेश सोनी जी की पुस्तकों भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परम्परा 

और 

हमारी सांस्कृतिक विचारधारा के मूल स्रोत 

और दीनदयाल जी द्वारा रचित राष्ट्र जीवन की एक दिशा की चर्चा की हम उनका अध्ययन करें 


परदोष -दर्शन से बचें 

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम अपने तत्त्व को पहचानें और उसके प्रकाश को प्रसरित करने का प्रयास करें 

आचार्य जी ने भैया अरविन्द जी का नाम क्यों लिया किन लोगों ने साहित्य को विकृत किया आदि जानने के लिए सुनें