25.6.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आषाढ़ कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 25 जून 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०६२ वां सार -संक्षेप

 सशक्त व्यक्ति द्वारा किए गए प्रहार में भी ज्ञान बना रहता है लेकिन प्रयास यह हो कि प्रहार की आवश्यकता ही न हो

दुष्ट हमसे दूर रहें.....



प्रस्तुत है   आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आषाढ़ कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  25 जून 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०६२ वां सार -संक्षेप


(Take Home Message : अपनी स्मृतियां सुरक्षित रखें)


जब हम अपने बारे में जान लेते हैं तो हमारी कमजोरी दूर हो जाती है हम अपने बारे में जानने का प्रयास नहीं करते हैं अपितु औरों के बारे में जानने के प्रयास में अपना समय व्यर्थ करते रहते हैं यह इस संसार का एक रोग है जो प्रायः सभी को ग्रसित किए हुए है इस रोग से मुक्त होने का प्रयास ही सदाचार है सद्चिन्तन है इस संसार में शक्ति भक्ति बुद्धि कौशल के साथ हमें जीवनयापन का प्रयास करना चाहिए और अपनों को इसके लिए प्रेरित करना चाहिए

हमारा सनातनधर्मी संसार अत्यन्त अद्भुत है


हमारा चिन्तन वैश्विक है 


बिच्छू के काटने पर संत का उसे बार बार बचाने का प्रयास उचित है या अनुचित यह हम सनातनधर्मियों के लिए चिन्तन का विषय है 

किन्तु हमें अपनी स्मृतियों को सही रखना ही होगा


श्रुतिः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियमात्मनः । एतच्चतुर्विधं प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य लक्षणम्।

धर्म और कर्म हमें भलीभांति समझने होंगे 

स्मृति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है स्मृति का अर्थ ही है अपने को समझे रहें परिस्थितियों को देखे रहें स्मृति एक प्रकार से इतिहास है स्मृतियां जब मिट जाती हैं तो परम्पराओं के प्रति चिन्तन समाप्त हो जाता है और भ्रम का वातावरण व्याप्त हो जाता है हमारे साथ ऐसा ही हुआ और हमने नौकर बनाने वाली शिक्षा को अपना लिया  लेकिन अब हमें समाज से भ्रम भय दूर करना है हम इसी अंधकार को मिटाने वाले दीपक हैं हमें अपने दीपकत्व को पहचानने की आवश्यकता है 

शक्ति भक्ति बुद्धि शौर्य कौशल से सम्पन्न मनु अंगिरा वशिष्ठ विष्णु (भगवान् विष्णु नहीं )आदि ऋषियों ने हमारे इतिहास को रचा हमें अद्भुत जीवन शैली प्रदान की जिसका परिपालन करते हुए हम विश्वगुरु के पद पर आसीन हो गए थे

आचार्य जी ने बताया जो हमें घाव मिले उनका दर्द हमें महसूस होना चाहिए जैसे 

इतिहास को कलंकित करने वाले दिन २५ जून १९७५ की त्रासदी याद आ जाती है

संविधान के सारे अधिकार समाप्त हो गए 

शिष्ट भले लोग जेल में डाल दिए गए

इसके अतिरिक्त अध्यक्ष जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें