यह वेद विदों का देश तपस्या सेवा इसकी निष्ठा है
इसका मंगल विश्वास जगत ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा है
यह जगन्नियन्ता का विश्वासी पौरुष की परिभाषा है
संपूर्ण जगत के संरक्षण की एकमात्र शिव आशा है
प्रस्तुत है शैलसार ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 6 जून 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१०४३ वां* सार -संक्षेप
¹ चट्टान की तरह दृढ़
चट्टान की तरह दृढ़ रहते हुए हम अपनी परम्परा पर विश्वास रखें अपने पौरुष के प्रति विश्वस्त रहें सूझबूझ के साथ कदम बढ़ाएं अपने परायों की सही पहचान करें अपने वास्तविक सच्चे इतिहास से परिचित हों और अपनों को परिचित कराएं
इसके लिए आचार्य जी नित्य प्रयत्नशील रहते हैं
जहां श्रम शक्ति सेवा साधनामय प्रेम होता है
जहां निज देश के प्रति प्रेम निष्ठा नेम होता है
जहां अपनों परायों की सही पहचान होती है
जहां चर्चा कथा में पूर्वजों की शान होती है
वहां हरदम सुमंगल गीतमय व्यवहार होता है
कि हर दिन दिव्य मंगलमय मधुर त्यौहार होता है
प्रेरक उद्गारों और सार्थक विचारों से युक्त ये सदाचार संप्रेषण अद्भुत हैं
हम भारतीयों का अभिप्रेत कभी भी निराश रहना नहीं रहा है
नर हो, न निराश करो मन को
करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
हम व्याकुल न रहें आश्वस्त रहें कि भाजपा ही सत्ता में आ रही है देश का भविष्य मंगलमय है
अच्छे फैसले होंगे सरकार में मदान्ध लोगों की आंखें खुलेंगी मूर्खों की समीक्षा होगी
ढोंगी अपने कुकृत्यों में सफल नहीं होंगे जयचन्द सदैव लांछित थे लांछित रह रहे हैं और लांछित ही रहेंगे
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम शीशगंज गुरुद्वारे के दर्शन करें
हिन्दू धर्म की रक्षा का यह अप्रतिम उदाहरण है
दुर्भाग्य है कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अनगिनत बलिदान देने वाले सिखों को हम हिन्दुओं से अलग करते हुए कहते हैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सितम्बर में होने जा रहे राष्ट्रीय अधिवेशन से अपने भीतर आग जलनी चाहिए
भावाग्नि संकल्पाग्नि की हम अनुभूति करें देशभक्ति की क्षुधा उत्पन्न करें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने गुरु तेग बहादुर का उल्लेख क्यों किया
किसने मदमत्त होकर अपनी भविष्यवाणी को सही बताया जानने के लिए सुनें