प्रस्तुत है पिञ्ज -पुञ्ज ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष प्रतिप्रदा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 7 जून 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
१०४४ वां सार -संक्षेप
¹ शक्ति का पुंज
शक्ति के अद्भुत पुंज कर्मशील आचार्य जी नित्य हमें इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से जाग्रत करते हैं हमारी निराशा दूर करते हैं हमें ऊर्जस्वित करते हैं हमें आत्मानुभूति कराते हैं कि हम कहें
चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम्
लम्बे समय से साधना कर रहे आचार्य जी जो हमारी क्षमताओं को जानते हैं का यही प्रयास रहता है कि हम अपनी क्षमताओं का सही उपयोग कर श्रद्धा और भक्ति के साथ बिना दुविधाग्रस्त हुए राष्ट्र -कर्म समाज -कर्म के लिए उद्यत हों
वे स्मरण कराते हैं कि
हम समाज को शक्ति भक्ति विश्वास राष्ट्र -निष्ठा प्रदान करने के लिए प्रतिज्ञा कर चुके हैं यह ध्यान रखें
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे इति
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
हे मातृभूमि मैं आपको प्रणाम करता हूं क्योंकि आप की ही गोद में मैं सुखपूर्वक पल रहा हूं
हे मंगलमयी मां आपकी सेवा में मेरी काया पतित हो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विस्तार होता चला गया वह किसी राजनैतिक दल में सम्मिलित नहीं हुआ इस पर प्रतिबन्ध भी लगे
इस संस्था की राष्ट्र -निष्ठा संदेह से परे रही है राष्ट्र -निष्ठा की ज्वाला जिनमें प्रज्वलित होती है वह कभी बुझती नहीं
कर्मयोद्धा भगवान् आदि शंकराचार्य ने चार धाम स्थापित किए अनेक ग्रंथों की रचना कर डाली अनेक यात्राएं की अनेक तर्कशास्त्रियों को पराजित किया तब जाकर सनातन धर्म जीवित रह पाया समाज को जिस तरह उन्होंने जाग्रत किया यह अद्वितीय उदाहरण है
समाज को ही जाग्रत करने के लिए हम राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रहे हैं आचार्य जी ने परामर्श दिया कि इसके लिए आत्मदर्शन की क्षुधा वाले हम राष्ट्र -भक्त बिना देर लगाए उद्यत हों
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने एक कर्महीन शिष्य वाला कौन सा प्रसंग सुनाया भैया मनीष जी के परिवार की किसी महिला का अयोध्या जाने वाला क्या प्रसंग है हमें किस झटके से उबरना है आदि जानने के लिए सुनें