12.7.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष षष्ठी / सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 12 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण

 हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें हम।

टल गया सिर से व्यथा का भार कैसे मान लें हम।

आ गया स्वातंत्र्य फिर भी चेतना आने न पाई।

प्रगति के ही नाम श्रद्धा और श्रम को दी विदाई।

इस भयंकर मौज को पतवार कैसे मान लें हम।


प्रस्तुत है   आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आषाढ़ शुक्ल पक्ष षष्ठी / सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  12 जुलाई 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१०७९ वां* सार -संक्षेप

अपने भीतर के सत्व तत्व की पहचान कराने वाले,भावनाओं पर आधारित ये सदाचार संप्रेषण अद्भुत हैं  हमारे लिए हितकारी हैं हमें इनका श्रवण अवश्य करना चाहिए 

सिर से व्यथा का भार अभी टला नहीं है सारे सपने साकार नहीं हुए हैं कुछ समस्याएं ही हल हो पाई हैं समय गम्भीर है इसलिए हम समय की गम्भीरता को पहचानें मौज मस्ती में डूबे न रहें, यथार्थ को जानें 

और अपने लक्ष्य को पाने के लिए कदम बढ़ा लें

हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत भयानक प्रभावकारी षड़यंत्र हुआ 

हम संवेदनशील राष्ट्र -भक्त आज तक उसके प्रभाव का अनुभव कर रहे हैं किन्तु जो भौतिकता आधुनिकता के रंग में रंग गए हैं वे इसे विकास के लिए आवश्यक बताते हैं

जो कुछ हम अध्ययन करें विद्यार्जन करें गहराई से करें उस पर मनन अवश्य करें इससे विवाद उत्पन्न न हों 

दुर्जन की विद्या विवाद हेतु , धन उन्माद के लिए , और शक्ति दूसरों का दमन करने के लिए होती है। सज्जन इसी को ज्ञान, दान  और दूसरों की रक्षा हेतु उपयोग करते हैं।


मैक्समूलर छद्मवेशी था कभी आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वह प्रोफेसर / हैड  था उसके बाद मैकडोनाल्ड हैड बना  वेदों पर आधारित उसकी लिखी पुस्तकें आज भी प्रैस्क्राइब की जाती हैं इन लोगों ने हमारे ऋषियों हमारे देवताओं हमारे ग्रंथों आदि को काल्पनिक बताया 

जिन ग्रंथों में भारतीय जीवन के हर पक्ष का वर्णन हो अखंड प्रवाह वर्णित हो वह काल्पनिक कैसे हो सकते हैं 

हमें भ्रमित किया गया 

हम यथार्थ की जानकारी से दूर हैं हम यथार्थ को जानने की चेष्टा करें निराशा त्यागें शक्ति बुद्धि कौशल विचार को उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रज्वलित करते रहें लेखन करें दुविधा से बचने के लिए अंग्रेजी का व्यामोह उतारें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया संजय अस्थाना जी भैया निखिल जी की चर्चा क्यों की जेम्स मिल ने कैसे विकृतियां फैलाईं 

(वह भारत के बारे में कोई सकारात्मक विचार नहीं रखता था उसका मानना ​​था कि सभी एशियाई समाज यूरोप की तुलना में सभ्यता के निचले स्तर पर थे)

किस कवि की चर्चा में आचार्य जी ने ट्रेन का उल्लेख किया जानने के लिए सुनें