आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 16 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१०८३ वां* सार -संक्षेप
धर्म-आधारित जीवन जीने पर व्यक्ति संयमी, स्वाध्यायी, चिन्तनशील विचारशील हो जाता है उसके प्रयास सात्विक और उत्कृष्ट कोटि के होते हैं जैसे प्रयास गुरुगोविन्द सिंह महाराणा प्रताप वीर शिवाजी आदि ने किए जिन्हें मात्र योद्धा न कहकर धर्मयोद्धा कहना चाहिए उनके बारे में वैचारिक विकृतियों का प्रयास करने वाले भौतिकता की बुभुक्षा लिए विलायती लोगों ने जो विकृत धारणाएं उत्पन्न कर दीं हमें उनके बारे में चिन्तन करना चाहिए
ये विलायती लोग सफल इसलिए हुए क्योंकि हमने शौर्य आधारित अध्यात्म को विस्मृत कर दिया शक्ति के स्थान पर हमारा अध्यात्म चिन्तन में प्रवेश कर गया हमने ज्ञान को अपने भीतर सुरक्षित तो कर लिया लेकिन हम उसका व्यावहारिक उपयोग नहीं कर पाए
आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक नामक त्रिकोण बहुत चिन्तन मनन विचार के बाद प्रस्तुत किया गया है
शिक्षा मात्र नौकरी प्राप्त कर लेना नहीं है शिक्षा ऐसी जो हमें मनुष्यत्व की अनुभूति कराए
हमारा सनातन विचार बहुत तात्त्विक है वेद ज्ञान है वेद अपौरुषेय है इस संसार और संसार के स्रष्टा को जानने की हमें आवश्यकता है
वेद यौगिक शब्दों में लिखे गए हैं शब्द यौगिक औऱ रूढ़ दोनों होते हैं जैसे लोटा रूढ़ शब्द है जिसका एक ही अर्थ है यौगिक के अनेक अर्थ होते हैं जैसे पुरुष यौगिक शब्द है आचार्य जी ने इस शब्द की व्याख्या करते हुए बताया कि कैसे इसके आधिभौतिक आधिदैविक आध्यात्मिक के अनुसार भिन्न भिन्न अर्थ हैं
ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के १६४वें सूक्त की ४६वीं ऋचा के अनुसार - इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो दिव्य: स सुपर्णो गरुत्मान्। एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्त्यग्निं यमं मातरिश्वानमाहु:॥
वेद में लिखा है कि अल्पज्ञानी से मुझे डर लगता है क्योंकि वह मेरा वध कर देगा
मैक्समूलर अल्पज्ञानी ही था मोहांध था उसने हमें भ्रमित किया
अब समय है कि हम भ्रम में न रहें new generation को भी मार्गदर्शन दें
शैशव में अच्छे संस्कार मिल जाएं तो बहुत लाभ मिलता है
संस्कारों को जाग्रत करने का जब अवसर मिल जाता है तो आनन्द आ जाता है हमें यह अवसर मिला है आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित कर रहे हैं ताकि हमारे संस्कार जाग्रत हो सकें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने राष्ट्रीय अधिवेशन के विषय में क्या बताया
गृहस्थ धर्म वास्तव में क्या है आचार्य जी ने अपने बचपन के क्या प्रसंग बताए लक्ष्य प्राप्ति क्या है जानने के लिए सुनें