प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 17जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१०८४ वां* सार -संक्षेप
अविच्छिन्न रूप से ये सदाचार संप्रेषण हमें प्राप्त हो रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है हमारा सनातन चिन्तन भी इसी बात की पुष्टि करता है कि जीवन के सत्कर्म अविच्छिन्न चलने चाहिए
हमारा कर्तव्य बनता है कि इन संप्रेषणों के तत्त्व हम खोजें और उन पर विचार कर व्यवहार में लाएं अपनी संस्कृति सभ्यता समाज के प्रति सुस्पष्टता लाएं
अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपने विचार, अपने देश और समाज पर गर्व हमें तब होगा जब हम अपने ग्रंथों का सही ढंग से अध्ययन करेंगे
चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा
रामायणं भारतं च गीता सद्दर्शनानि च ॥८॥
जैनागमास्त्रिपिटकाः गुरुग्रन्थः सतां गिरः
एषः ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा ॥९॥
.हमारे यहां चारों वर्ण ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र अत्यधिक सम्मानपूर्वक विभाजित किए गए ये कर्माधारित थे
मनुस्मृति में ही वर्णोत्कर्ष की प्रक्रिया भी वर्णित है
लेकिन विखंडनवादियों ने बहुत सी बातें गलत ढंग से प्रस्तुत कीं
हमें अपनी परम्पराओं में हीनत्व दिखाई दे इसी का प्रयास इन्होंने किया
वेद का अध्ययन करना हो पहले मैक्समूलर का अध्ययन करें ऐसी बातों से हमें बरगलाया
मैकाले की शिक्षा नौकरी पर आधारित है
हमें भ्रमित और हीनभावना से ग्रसित नहीं रहना चाहिए
हम कमजोर न पड़ें इसका प्रयास करें अपने भीतर सब कुछ समाहित करने की क्षमता रखनी चाहिए अन्यथा विखंडनवादी इसका लाभ उठाते हैं और उसी का परिणाम है कि जैन बौद्ध सिख अल्पसंख्यक हो गए
सुसंस्कृत लोगों को भी सुसंगठित रहने की आवश्यकता है भेदभाव से दूर रहना होगा आत्मीयता दिखानी होगी हम कहते हैं वसुधैव कुटुम्बकम्
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया
धर्म शब्द का अर्थापकर्ष हो गया साहस शब्द का अर्थोत्कर्ष हो गया
A Brief History of Time (1988) a book written by the scientist and mathematician Stephen Hawking की आचार्य जी ने चर्चा की
श्यामलाल जी की चर्चा क्यों हुई काशी विश्वविद्यालय का उल्लेख क्यों किया अन्त्यज का क्या अर्थ है जानने के लिए सुनें