19.7.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 19 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१०८६ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है   आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आषाढ़ शुक्ल पक्ष  त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  19 जुलाई 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१०८६ वां* सार -संक्षेप


आचार्य जी प्रयास करते हैं कि इन सदाचार वेलाओं के माध्यम से हमारे अन्दर शक्ति भक्ति शौर्य पराक्रम उत्साह प्रविष्ट हो और हम समाज -सेवा, राष्ट्र -सेवा के लिए सन्नद्ध हों 

शिक्षा मनुष्य के संस्कारों का आधार बनती है इस कारण उचित शिक्षा बहुत अनिवार्य है शौर्य से प्रमंडित अध्यात्म इसीलिए अनिवार्य है कि हम कमजोर न रहें हमारी कमजोरी के कारण हमारे समाज में विद्रूपता फैली

शौर्य प्रमंडित अध्यात्म में तो इतनी क्षमता है कि वह अपने परिवेश को आनन्दित रखता ही है 


अग्रतः चतुरो वेदाः पृष्ठतः सशरं धनुः ।

इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ।।

ऐसे हैं परशुराम जिनमें ज्ञान के साथ शौर्य भी है एक ओर परशुराम अवतार हैं तो बुद्ध भी अवतार हैं इनका सामञ्जस्य हमें समझ में आना ही चाहिए अन्यथा हम भ्रमित भयभीत रहेंगे

बन्धन में बंध जाना पारतन्त्र्य है हम स्वतन्त्र हैं शक्तिसम्पन्न है यह भाव रखें 


इसमें अतिशयोक्ति नहीं कि भक्ति में शक्ति है



आचार्य जी ने ब्रह्मसंहिता के एक अंश का उल्लेख करते हुए बताया कि पूजा का प्रस्तुतिकरण कितना अच्छा हो सकता है 

जब हम पूजा भाव से अध्ययन करते हैं कर्म करते हैं अपने विचार संप्रेषित करते हैं तो एक विशिष्ट प्रकार की शक्ति परिलक्षित होती है 


करपात्री जी महाराज जैसे लोगों ने वर्ण व्यवस्था जन्मना मानी लेकिन सामान्य मनुष्य को वे समझा नहीं पाए कि जन्म भी कर्म के आधार पर होता है क्यों कि उनकी भाषा बहुत क्लिष्ट थी 

परमज्ञानी के पास सामान्य शब्दावली नहीं रह पाती 

हमें संसार में लिप्त तो होना ही पड़ेगा  लेकिन लिप्त रहते हुए भी अलिप्त रहना एक अद्भुत स्थिति है और उस स्थिति को हम बिना भक्ति के प्राप्त नहीं कर सकते 


चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।


तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्।।4.13।।

 

गुण और कर्मों के विभाग से चातुर्वण्य मेरे द्वारा रचित है। यद्यपि मैं इसका कर्ता हूँ, फिर भी तुम मुझे अकर्ता एवं अविनाशी ही जानो।।


विश्वास भी अत्यन्त आवश्यक है


हमारे लिए यह समझना अत्यन्त आवश्यक है कि हम नौजवानों का समाज के प्रति क्या योगदान है 

हमें इस ओर ध्यान देना होगा


इसके अतिरिक्त आचार्य जी कल कहां जा रहे हैं नागपुर कब जाएंगे भैया राजन रावत जी का नाम क्यों आया जानने के लिए सुनें