प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 2 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१०६९ वां* सार -संक्षेप
इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से नित्य आचार्य जी हमें प्रेरित करते हैं ताकि हम शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलम्बन सुरक्षा के आधार को लेकर देश और समाज के लिए उत्साहित ऊर्जस्वित सक्रिय हो सकें हम आत्मविश्वासी आत्मसंयमी बन सकें खाद्य अखाद्य पर ध्यान दे सकें सामञ्जस्यपूर्ण संतुलित जीवन जी सकें
अपना और अपनों का विकास कर सकें चिन्तन मनन ध्यान धारणा निदिध्यासन लेखन के लिए प्रेरित हो सकें शक्ति भक्ति सामर्थ्य पराक्रम पा सकें इसके लिए नित्य वे हमें अपना बहुमूल्य समय दे रहे हैं यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है
विषम परिस्थितियों में भी इन संप्रेषणों का नैरन्तर्य आश्चर्य का विषय है
संसार-समर में संघर्ष है इस कारण हमें खड्ग शूल गदा धनुष -बाण आधुनिक अस्त्र शस्त्र सब चाहिए हम भय भ्रम से दूर रहें शैथिल्य से विमुख रहें
गीता एक अद्भुत ग्रंथ है
अर्जुन भी शिथिल खड़े हैं भ्रमित हैं भगवान् कृष्ण समझाते चले आ रहे हैं भगवान् उन्हें दिव्य नेत्र देते हैं अर्जुन के सारे तर्क विलुप्त हो जाते हैं
पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः।
नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च।।11.5।।
भगवान् अपना विराट् रूप दिखा देते हैं
आचार्य जी ने बैरिस्टर साहब से संबन्धित कुछ प्रसंग बताए
और बताया कि आचार्य श्री आनन्द जी ने बहुत परिश्रम करके Porch में गीता के छंद लिखे थे
आचार्य जी ने youtube पर उपलब्ध उस साक्षात्कार की चर्चा की जिसमें सिद्धान्तवादी नाना पाटेकर ने किसानों का अत्यन्त मार्मिक वर्णन किया है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया सौरभ द्विवेदी,भैया आशीष जोग का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें