प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा )विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 21 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१०८८ वां* सार -संक्षेप
प्रातःकाल का समय नवजीवन का समय होता है आचार्य जी नित्य इस समय हमें प्रेरित करते हैं यह हमारा सौभाग्य है
हमारा यह कर्तव्य बने कि हम इन सदाचार संप्रेषणों के तत्त्व खोजें और उन्हें व्यवहार में उतारें
हम दुष्ट नहीं हैं हम विशिष्ट हैं हमारा वैशिष्ट्य देशभक्ति, राष्ट्र -भाव का वैशिष्ट्य है हमारा वैशिष्ट्य राष्ट्र को सञ्जीविनी प्रदान करने वाले विचार व्यवहार की विशिष्टता को धारण किए हुए है
*उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको नहीं*
यह उद्घोषणा हमें अपना लक्ष्य याद दिलाती है
हमारा लक्ष्य है
अपने पूर्व के अखंड ऐतिहासिक भौगोलिक स्तर को पुनर्स्थापित करना
हम खंडित संस्कृति के उपासक नहीं हैं
जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योम-तम पुँज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक
जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष
हमारी शिक्षा को विकृत किया गया हमारे रीति रिवाज बदल गए हमारी भाषा व्यवहार में विकार आ गए लेकिन यह देश कभी मरता नहीं यह अक्षय है कोई न कोई अपनी ज्योति के साथ जलता है इसी प्रकार परम पूज्य डा केशवराव बलीराम हेडगेवार जले
वह यह सोचने को मजबूर हुए कि समाज में जिस एकता और धुंधली पड़ी देशभक्ति की भावना के कारण हमें संघर्ष करना पड़ रहा है वह मात्र कांग्रेस के जन आन्दोलन से जाग्रत और पृष्ट नही हो सकती
अतः भिन्न उपाय की आवश्यकता है और इस तरह हिन्दू समाज को संगठित करने संस्कारित करने हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अस्तित्व में आती है आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को हम निकट से जानने का प्रयास करें और साथ ही
अपनी संस्था युगभारती के लिए धन का समय का शक्ति का अर्पण करें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी आज किस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं किस व्यक्ति के कार्य की प्रसिद्धि हुई न कि उसकी स्वयं की,भैया नितिन जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें