प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 22 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१०८९ वां* सार -संक्षेप
विषम परिस्थितियों में होने के बाद भी आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित कर रहे हैं हमें संस्कारित कर रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है
कष्ट में भी जिनको कष्ट की अनुभूति नहीं होती वे सिद्ध पुरुष होते हैं भारत में ऐसे सिद्ध पुरुषों की बहुतायत रही है
भारत में ऐसे अनेक राष्ट्र -भक्त हुए जिनको दुष्टों ने बहुत कष्ट दिए
इस अद्भुत देश की यह अद्भुत परम्परा रही है और यह सिलसिला चल रहा है ऐसे लोग हमारे पथ -प्रदर्शक बन जाते हैं अध्यात्म की दृष्टि से देखें तो जो परमात्मा करता है अच्छा ही करता है तो इसमें भी कुछ अच्छाई ही होगी
अच्छा ही है यदि हमारा भरोसा बना रहे हम भ्रमित भयभीत न रहें
इन्हीं के बीच हम लोग भी हैं जो अपना कार्य व्यवहार कर रहे हैं थोड़ा करते हैं अधिक यश की कामना करते हैं अध्यात्मोन्मुख होते हुए हम सुख शान्ति सौहार्द सौमनस्य के लिए समर्पण भाव से प्रयास करें यही मनुष्यत्व है मानव जीवन है अन्य जीवन प्रकृति पर आधारित होते हैं मनुष्य का जीवन प्रकृति के साथ सामञ्जस्य बैठाता है और मनुष्य मार्ग खोजने में सक्षम होता है
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम युगभारती के सदस्य एक दूसरे की परिस्थितियों के बारे में जानकारी रखें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने लोमश ऋषि का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें