23.7.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 23 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१०९० वां* सार -संक्षेप

 ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः । अनेन वेद्यं सच्छास्त्रमिति वेदान्तडिण्डिमः ll



आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण कृष्ण पक्ष  द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  23 जुलाई 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१०९० वां* सार -संक्षेप

परिस्थितियां कैसी भी हों आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित कर रहे हैं हमें भौतिकवाद के भयानक तांडव से बचा रहे हैं हमें भारतीय संस्कृति की विशेषताओं से परिचित करा रहे हैं यह हमारा सौभाग्य हैं ये सदाचार संप्रेषण हमारे मनोनुकूल रहते हैं इस कारण हम इन्हें सुनने के लिए लालायित रहते हैं 


परिस्थितियां जब परिवर्तित होती हैं तो हमें अपने निर्धारित लक्ष्यों के स्थान आदि भी परिवर्तित करने  पड़ते हैं नियमित रूप से किए जाने वाले कार्य में आने वाली बाधाओं के लिए हम मार्ग निकालते हैं और यदि ऐसा नहीं करते हैं और परिस्थितियों के वशीभूत होकर बाधाओं से झुककर मूल कार्य को तिलाञ्जलि दे देते हैं तो इसका अर्थ है हम पुरुषार्थ से दूर भाग रहे हैं हम परिस्थितियों का आकलन करते हैं क्योंकि हम चिन्तन करने में सक्षम हैं  इधर कुछ दिनों तक आचार्य जी ने शिक्षा पर हमारा मार्गदर्शन किया हमारी शिक्षा को दूषित किया गया इस पर हमें चिन्तन करना चाहिए और उसके अनुरूप कार्यव्यवहार करना चाहिए क्योंकि जो शिक्षा का यह स्वरूप चल रहा है वो हमें व्याकुल करता है हमारी व्याकुलता तब दूर होती है जब हम अपने को उससे अलग करके देखते हैं

भारतीय पद्धति वाली शिक्षा महत्त्वपूर्ण है जो हमें संस्कारित करती है 

जहां संस्कार होते हैं वहां प्रेम लगाव आत्मीयता होती है मनुष्य का जीवन इसी में आनन्दित रहता है विलायती लोगों द्वारा थोपी गई शिक्षा में हमें अपने पूर्वजों की कथाओं से दूर किया गया इस शिक्षा का प्रभाव विवेकानन्द मदनमोहन मालवीय डा हेडगेवार लाला लाजपत राय पर नहीं हुआ कारण स्पष्ट है उनके परिवारों के संस्कार उस शिक्षा पर हावी रहे मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (का हि वि वि )खोला जिसके ईंटों में भी का हि वि वि लिखा है 

हमारे ऊपर वैचारिक आक्रमण हुए सैन्य आक्रमण हुए लेकिन हमारी देशभक्ति की भावना जाग्रत रही 

युगभारती भी यही प्रयास कर रही है कि समाज की देशभक्ति वाली भावना जाग्रत रहे 

इसे बलवती बनाने के लिए हम संगठन करें मिलने के अवसर खोजें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने हमें निर्भय करने वाला  कौन सा मन्त्र बताया भैया विजय गर्ग जी  भैया अमित गुप्त जी का नाम क्यों लिया न्यूटन का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें