29.7.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण कृष्ण पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 29 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१०९६ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण पक्ष   नवमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  29 जुलाई 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१०९६ वां* सार -संक्षेप

ये सदाचार संप्रेषण आत्मानुभूति और आत्मदर्शन का प्रयास हैं हम अकेले हैं तो यह अनुभूति करें कि हमारा मार्गदर्शक हमारे भीतर उपस्थित है 


लगाव दुराव संसार का स्वभाव है आत्म का स्वभाव नहीं है 


संसार को सत्य मानने लगेंगे तो सत्य-सा भासित होगा और स्वप्न मानेंगे तो सपने जैसा लगने लगेगा

हरि की कृपा से झूठा संसार सच लगता है 

हे हरि! कस न हरहु भ्रम भारी । जद्यपि मृषा सत्य भासै जबलगि नहिं कृपा तुम्हारी ॥ १ ॥

हम भ्रमित लेकिन विश्वासी लोगों का मार्गदर्शन करने वाली श्रीमद्भग्वद्गीता में एक ही गुरु और एक ही शिष्य समग्र विश्व के गुरु और शिष्य के रूप में प्रतिष्ठापित हैं


इस समय गुरुओं की बहुतायत है फिर भी शिष्य व्याकुल घूम रहे हैं यह कलियुग का स्वभाव और स्वरूप है हम लोगों को इस जंजालयुक्त संसार में रहते हुए आत्मस्थ होने की चेष्टा करनी चाहिए


कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः


पृच्छामि त्वां धर्मसंमूढचेताः।.....



कायरता वाले स्वभाव का और कर्तव्य -पथ पर चलने में भ्रमित मैं आपसे पूछता हूँ कि जो मेरे कल्याणार्थ हो उसे कहिए क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ।शरणागत को शिक्षित कीजिए

समर्पण भाव से बैठे शिष्य को देख गुरु भावुक हो जाता है 

गो और गो -वत्स का उदाहरण देते हुए आचार्य जी कहते हैं संसार वास्तव में अद्भुत है और इस अद्भुत संसार में शान्ति सुख यश प्राप्त करने की लालसा को संतुलित करने की हमें चेष्टा करनी चाहिए


स्वयं को सफलता पूर्वक आगे  बढ़ाने के लिए  सुयोग्य बनना होगा हमें समस्याओं को हल करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए

गीता में 

अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता तो भगवान् श्रीकृष्ण खीझते नहीं हैं वे तो सर्वद्रष्टा हैं 


अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।


गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः।।2.11।।

जिनके लिये शोक करना उचित नहीं है, उनके लिये तुम शोक करते हो और ज्ञानियों जैसे बोलते हो, परन्तु ज्ञानी पुरुष मृत  और जीवित दोनों के लिये शोक नहीं करते हैं।।


पूरी गीता में प्रश्नोत्तर हैं हमें भी प्रश्न करने चाहिए और उन्हें हल करने का प्रयास करना चाहिए


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया डा मनीष वर्मा,भैया मनीष कृष्णा, भैया मोहन का नाम क्यों लिया Thick -skinned किसने कहा

आचार्य जी ने आचार्य प्रयाग जी से संबन्धित कौन सा प्रसंग बताया 

जानने के लिए सुनें