7.7.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 7 जुलाई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण

 प्रस्तुत है   आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आषाढ़ शुक्ल पक्ष  द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  7 जुलाई 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१०७४ वां* सार -संक्षेप



इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित उत्साहित करते हैं यह हमारे लिए सौभाग्य का विषय है 

आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि  अपने जीवन में हमें परमात्मा ने जितनी शक्ति और सीमा प्रदान की है, उसका उसी की सेवा-पूजा में सदुपयोग करते हुए हम सोत्साह आगे बढ़ते रहें अनथक अनवरत। इसमें हम अपने लक्ष्य ओझल न होने दें  भय और भ्रम से दूर रहें यह ध्यान रखें कि हमारा स्वार्थ सदैव परार्थोन्मुख रहे और सदा इसी भाव से भावित रहे कि हमारे द्वारा किसी प्राणी को उद्वेग प्राप्त न हो और हमें स्वयं भी किसी प्राणी से उद्वेग न हो क्योंकि भगवान् को ऐसा ही भक्त प्रिय है जो संयतात्मा, दृढ़निश्चयी और सन्तुष्ट है, जो अपने मन और बुद्धि को उन्हीं में अर्पित किए है 

भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं 

अनपेक्षः शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथः।


सर्वारम्भपरित्यागी यो मद्भक्तः स मे प्रियः। १२/१६

जो अपेक्षारहित, शुद्ध, दक्ष, उदासीन, व्यथा से रहित और सारे कर्मों का संन्यास करने वाला है 

वह मुझे प्रिय है 


इसमें अतिशयोक्ति नहीं कि हम सभी को अपने परमपिता का प्रिय पुत्र बनने का चाव है।