प्रभाव में अभाव में स्वभाव सम बना रहे
हृदस्थ भाव शक्ति शौर्य से सदा घना रहे
कि हीनभाव मनस् में सदैव ही मना रहे
स्वतंत्र ध्वज अनंत में फहर फहर तना रहे।
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 14 अगस्त 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१११२ वां* सार -संक्षेप
हमारे विद्यालय में भगवान् की प्रार्थना के पश्चात् अत्यन्त प्रभावशाली सदाचार की एक वेला होती थी हम सौभाग्यशाली हैं कि राष्ट्र -निष्ठा और समाजोन्मुखता को प्रोत्साहित करती वैसी ही सदाचार वेला आज भी चल रही है
आजकल हम लोग राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारी में लगे हैं और इसका गांभीर्य हमारे मनों में पल्लवित हो रहा है हमने इसकी क्रमिकता बनाए रखते हुए यह भी सुनिश्चित कर लिया है कि सन् २०२५ का राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में होगा
दुष्ट शक्ति पाकर मदान्ध हो जाते हैं और उनके व्यभिचार पल्लवित होने लगते हैं सज्जन भयभीत होने लगते हैं बांग्लादेश में हुई घटना से हम परिचित हैं
आचार्य जी ने *गीत मैं लिखता नहीं हूं* से एक अत्यन्त प्रेरक अभिव्यक्ति सुनाई
सलोनी नींद में कब तक रहेगा इन्द्र का वैभव....
हमें शिक्षा में भ्रमित किया गया हमें उस भ्रम के निराकरण की आवश्यकता है और अपने ज्ञान द्वारा हम यह कर सकते हैं मार्कोनी का गुणगान किया गया जब कि जगदीश चन्द्र बसु का नाम नहीं लिया गया बसु विश्वविख्यात वैज्ञानिक थे सत्येन्द्र नाथ बसु ने अपना एक रिसर्च पेपर आइन्स्टीन को भेजा उस शोध से प्रभावित होकर आइन्स्टीन ने उसमें अपना नाम संयुत करने का आग्रह किया नए सूक्ष्मतम कण को Boson कहा गया
हमारे ऋषि भी इसी तरह के शोधकर्ता थे इसलिए हम कहते हैं
ऋषयः मन्त्र द्रष्टारः
मन्त्र ज्ञान के सूत्र थे
हमारे यहां विपुल संपदा है अद्भुत वर्षा जलवायु, प्रचुर भू संपदा जल संपदा आदि
हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसी धरती पर हमारा जन्म हुआ है हम अपने देश के प्रति समर्पण का भाव जाग्रत करें
पावन मेरा देश भावन मेरा देश....
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया विजय मित्तल जी भैया प्रवीण भागवत जी भैया पुनीत जी आदि का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें