प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 18 अगस्त 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
१११६ वां सार -संक्षेप
बौद्धिक दैत्य सदैव इस प्रकार का वातावरण निर्मित करते हैं कि उथल पुथल मच जाए वे अपने तर्कों से सामान्य जनों को भ्रमित करने की चेष्टा करते हैं वामपंथ का कुचक्र भी बहुत अद्भुत स्वरूप लेता है हम जल के समान हैं हमें अपने जलत्व को शुद्ध रखने का प्रयास करना चाहिए जल में काला रंग मिला देंगे तो वह काला हो जाएगा शक्कर मिला देंगे तो मीठा हो जाएगा
हम स्वयं अपनी इच्छानुसार उसमें कुछ मिलाएं दूसरों को मिलाने न दें हम सचेत सतर्क रहें भावों के पट को जाग्रत करें
एकात्म मानववाद, जो भारत की सनातन विचारधारा का युगानुकूल रूप है,के प्रणेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता, भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पं दीनदयाल उपाध्याय जी की हत्या में भी हमें भ्रमित करने की चेष्टा की जाती रही है
उनकी हत्या में अटल बिहारी वाजपेयी जी और नाना जी देशमुख जी पर बलराज मधोक जी ने आरोप लगाए
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग में अटल जी दीनदयाल जी सम्मिलित होते थे उनके बौद्धिक भी होते थे
बलराज मधोक जी कश्मीर के रहने वाले थे वहां प्रान्त प्रचारक रहे जनसंघ के जब वे अध्यक्ष थे तो दीनदयाल जी महामन्त्री थे मधोक जी अत्यन्त महत्वाकांक्षी थे लेकिन ईर्ष्यालु भी थे कानपुर के एक अधिवेशन से वे नाराज होकर चले गए थे आचार्य जी ने बसंत राव ओक जी का भी उल्लेख किया
आचार्य जी ने अपने विद्यालय में अटल जी के पहली बार आने पर हुए कार्यक्रम का एक प्रसंग बताया
उस कार्यक्रम में अटल जी ने बताया कि वे अपने पिता जी की मृत्यु पर उतने दुःखी नहीं हुए जितने दीनदयाल जी की मृत्यु पर हुए
नाना जी भी बहुत दुःखी हुए थे
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने किन व्याख्या मिश्रा जी और शिव कुमार जी की चर्चा की
Ulcer का कौन मरीज था
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