28.8.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का भाद्रपद कृष्ण पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 28 अगस्त 2024 का सदाचार सम्प्रेषण ११२६ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष  दशमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  28 अगस्त 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  ११२६ वां सार -संक्षेप


स्थान :उन्नाव


जहां जितना अधिक प्रेम होता है, आत्मीयता होती है  उतना ही अधिक विश्वास बढ़ जाता है 

जो ईश्वर के प्रति विश्वासी व्यक्ति हैं उनके मन का प्रेम सीमातीत होता है 

सात्विक शुद्ध तात्विक प्रेम लेकर हम अवतरित होते हैं किन्तु जैसे जैसे संसार हमसे लिप्त होता जाता है वह शुद्ध सात्विक प्रेम विलुप्त होने लगता है

इसी कारण  विकार रहित बाल्यावस्था शैशवावस्था ईश्वर का रूप होती है 

सात्विक कौन है?

गीता, जिसके छंद हमें व्यवहार भी सिखाते हैं,के निम्नांकित श्लोक के अनुसार 


मुक्तसङ्गोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वितः।


सिद्ध्यसिद्ध्योर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते।।18.26।।


जो कर्ता राग रहित, अहंमन्यता से भी रहित, किन्तु धैर्य और उत्साह से युक्त  है एवं कार्य की सफलता असफलता में निर्विकार  है, वह सात्त्विक कहा जाता है।

सात्विक कर्ता संसार के भौतिक गुणों के संसर्ग से बिना प्रभावित हुए रहता है 

इसी तरह राजस कौन है 

जो रागी, कर्मफल की इच्छा रखने वाला , लोभी,स्वभाव से हिंसक है , अशुद्ध है अर्थात् जिसमें खाद्याखाद्य विवेक आदि नहीं है और हर्ष व शोक से युक्त है वह राजस है।

इसी तरह तामसिक कर्ता वह है जो 

असावधान, अशिक्षित, ऐंठने वाला,अकड़ वाला, जिद्दी, उपकारी का बुरा करने वाला, विषादयुक्त और आलसी है और तो और वह नियमविरुद्ध कार्य करता है 

राजनैतिक मञ्चों पर आजकल हम लोग तीनों  तरह के कर्ता देख सकते हैं कुछ समय पहले दो ही तरह के दिखाई देते थे बहुत पहले भी तीनों तरह के कर्ता थे जैसे आचार्य नरेन्द्र, मदन मोहन मालवीय सात्विक श्रेणी में गिने जाते थे 

इस समय तो तामसिकों का बोलबाला है उन्हीं के बीच में हम लोग हैं 

हम कभी सात्विक कभी राजसिक और कभी तामसिक भी हो जाते हैं 

किन्तु हम अपनी समीक्षा भी करते हैं हमें अपनी समीक्षा करनी भी चाहिए

उचित खानपान पर ध्यान दें व्यवहार ऐसा करें कि किसी आत्मीय को बुरा न लगे  अपने धर्म अपनी संस्कृति अपनी भाषा पर विश्वास करें आत्मसमीक्षा महत्त्वपूर्ण है 

अपने लिए जो प्रयोग करें उन्हें अपनी डायरी में स्थान दें जो अपनों के लिए करना चाहते हैं उन्हें प्रकाशित करें 

नए लोगों को खोजिए जिनमें सात्विक कर्तापन हो राजसिक कर्तापन हो तामसिक कर्ताओं में भी गुणों को देखने का प्रयास करें 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कालीचरण इंटर कालेज का नाम क्यों लिया विद्यालय में किन पर प्रयोग किया जानने के लिए सुनें