6.8.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 6 अगस्त 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११०४ वां* सार -संक्षेप

 बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥

अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥1॥


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  6 अगस्त 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११०४ वां* सार -संक्षेप


भगवान् राम की भक्ति हनुमान जी की शक्ति और परमात्मा की भारतवर्ष के प्रति विशेष अनुरक्ति ये सब कुल मिलाकर भारतवर्ष को अनेक संकटों से उबारते रहते हैं

इसी कारण भारत कभी नष्ट नहीं हुआ न कभी नष्ट होगा 

जो भौतिक दृष्टि से इसके उत्थान पतन को देखते हैं वो व्याकुल होते हैं हमें भौतिकता से विमुख नहीं होना है किन्तु भौतिकता में ही पूर्ण लिप्तता हमारी शक्ति का क्षरण है

तुलसीदास जी ने भगवान् राम और राष्ट्र को एक तरह से सामने रखा और मानस के रूप में जो पोथी दी वह हमारी मार्गदर्शक बन गई 

अनेक लोगों के जीवनयापन का साधन बनी तो अनेक लोगों के लिए राष्ट्र -सेवा का माध्यम भी बनी आचार्य जी इसी कारण भावपूर्ण ढंग से इसके अध्ययन का हमें परामर्श देते हैं इसके अध्ययन से हमें भ्रम और भय नहीं सताएंगे 


नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि।

स्वान्तःसुखाय तुलसी रघुनाथगाथा-भाषानिबन्धमतिमञ्जुलमातनोति।।7।।

स्वान्तः सुख अद्भुत शब्द है  

जिससे किसी का अहित न हो  और जिसे करते रहने से स्वयं को आनन्द की अनुभूति हो वह स्वान्तः सुख  कहलाता है ।

तुलसीदास जी बहुत ज्ञानी थे उन्हें परमात्मा का वरदान प्राप्त था 

तुलसीदास जी ने अक्षर शब्द अर्थ छन्द का ज्ञान देने वाली मां सरस्वती की वन्दना की मङ्गलकर्ता विनयक की वन्दना की 


वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।

मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ।।1।।


 जो जो उन्होंने अध्ययन किया वह सारा राम के स्वरूप में पहले ही वे अपनी माताओं से सुन चुके थे

गुरु की भी  वन्दना की 

इसके बाद वे राम की कथा  में संपूर्ण राष्ट्र का चित्र पिरो देते हैं एक एक प्रसंग में सिद्ध किया जा सकता है कि उन्होंने राष्ट्र सेवा कैसे की जनजागरण  कैसे किया

आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि अपने कार्य व्यवहार में हम रमना सीखें तब हमें अनुभूति होगी कि यह परमात्मा की लीला ही हो रही है समाज के साथ सामञ्जस्य बैठाएं 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी आज इस समय किसके साथ हैं भैया प्रवीण भागवत जी की किस उपलब्धि की आचार्य जी ने चर्चा की भैया मोहन जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें