प्रस्तुत है तप्तकाञ्चन चरैवेति पथ -व्रती आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 15 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११४४ वां* सार -संक्षेप
एकात्म मानववाद के प्रणेता पं दीनदयाल उपाध्याय के उत्सर्ग से निकली हुई लपटों के कारण निर्मित
पं दीनदयाल विद्यालय नामक उत्स के हम पूर्व छात्रों द्वारा संचालित युगभारती संगठन का राष्ट्रीय अधिवेशन, जो अत्यन्त भव्य और दिव्य होने जा रहा है, निराश, हताश,उद्विग्न,कुंठाग्रस्त, भ्रमित,भयभीत जनमानस के समक्ष हमारी शक्ति, बुद्धि, कौशल,विचार, संगठन, प्रेम, आत्मीयता, सेवा, साधना,राष्ट्रीय भाव का अभिव्यक्तिकरण है उस जनमानस के लिए आशा की किरण है उसके मनोबल में वृद्धि करने का एक प्रयास है
हम इसे सफल बनाने के लिए अधिक से अधिक परिश्रम करते रहें
हमारा लक्ष्य है भी "राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष"
" प्रचण्ड तेजोमय शारीरिक बल, प्रबल आत्मविश्वास युक्त बौद्धिक क्षमता एवं निस्सीम भाव सम्पन्ना मनः शक्ति का अर्जन कर अपने जीवन को निःस्पृह भाव से भारत माता के चरणों में अर्पित करना ही हमारा परम साध्य है l "
और यह अधिवेशन इसी कारण होने जा रहा है
हमारे अन्दर शक्ति बुद्धि विवेक चैतन्य उत्साह आये इसकी प्रेरणा देती आचार्य जी की एक कविता है "मंजिल तेरी दूर नहीं "
इसकी दो पंक्तियां हैं
राही राह चला चल अविचल, मंजिल तेरी दूर नहीं
चरैवती पथ -व्रती कभी भी हुआ कहीं मजबूर नहीं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पुनीत जी भैया शुभेन्द्र जी भैया विजय मित्तल जी का नाम क्यों लिया अधिवेशन को सफल बनाने के लिए हम क्या करें और किस बात के लिए सतर्क रहें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव के पत्थर श्री हरमेश जी श्री प्रमोद जी श्री वीरेन्द्र जी क्या करना चाहते हैं जानने के लिए सुनें