प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 16 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११४५ वां* सार -संक्षेप
श्रीरामचरितमानस एक अद्भुत ग्रंथ है जिसके नायक श्रीराम हैं पुरुषों में उत्तम श्री राम पुरुष के रूप में समाज को ये सिखाते हैं कि जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमें कितने भी विघ्न बाधाएं आती रहती हों। प्रभु श्री श्रीराम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
अवध की वर्तमान स्थिति
(माँग के खाइबो मसीत में सोइबो।)
से आहत हुए तुलसीदास जी ने हनुमान जी महाराज से इस कथा को एक सहज भाषा में लिखने की प्रेरणा पाई महाकाव्य के लक्षणों के अनुसार महाकाव्य में आठ कांड होने चाहिए लेकिन तुलसी जी ने केवल सात कांड रखे
उनका उद्देश्य समाज को जाग्रत करना था यह महाकाव्य के रूप में हो या न हो इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता
रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु॥ 31॥
अपने गुरु नरहरि दास जो प्रकांड विद्वान् थे साक्षात् मां सरस्वती की जिन पर कृपा छाया थी से पुनः यह कथा सुनी
यह कथा अत्यंत गूढ़ है
जितनी तरह से सोचें उसके तो अनेक अर्थ लग जाते हैं
मैं पुनि निज गुर सन सुनी कथा सो सूकरखेत।
समुझी नहिं तसि बालपन तब अति रहेउँ अचेत॥ 30(क)॥
तदपि कही गुर बारहिं बारा। समुझि परी कछु मति अनुसारा॥
भाषाबद्ध करबि मैं सोई। मोरें मन प्रबोध जेहिं होई॥
इसी राम कथा को हम अपनी संस्कार कथा से संयुत कर सकते हैं
देश राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य सर्वोपरि होना परिस्थितियां आज भी वैसी हैं तो हमें अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए
दशरथ जैसे चक्रवर्ती सम्राट और जनक जैसे तत्वज्ञ बाली जैसे महाबली के रहते भी यज्ञ न हो पा रहे हों कर्मकांडों में बाधाएं डाली जा रही हों सनातन धर्म व्याकुल स्थिति में हो तो इनके निवारण के लिए किसी को आगे आना ही होगा
इस कारण राम की कथा का महत्त्व बढ़ जाता है
ऐसा ही अकबर के काल में हुआ उस समय तुलसीदास जी को लगा राम की कथा जन जन तक पहुंचनी चाहिए भारत मां की व्यथा जन जन तक पहुंचनी चाहिए
जनमानस आंदोलित हो उद्वेलित हो
हमें भ्रम और भय से मुक्त कराने वाली राम की कथा उसी भाव में आकर सुननी चाहिए जो तुलसीदास जी चाहते थे हमें आवश्यकता है ऐसे अध्यात्म की जो शौर्य शक्ति पराक्रम विश्वास भक्ति से प्रमंडित हो
राम की कथा ही राष्ट्र की कथा है
आचार्य जी ने अधिवेशन का उद्देश्य स्पष्ट किया
शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा हमारे विषय हैं हम इनके तत्त्व को ग्रहण करेंगे और फिर विस्तार करेंगे और हमें समाज के सामने ये विषय सुस्पष्ट करने हैं
शिष्टों को सुविधा मिले और दुष्टों पर नियन्त्रण आवश्यक है
समाज को हम आश्वस्त करेंगे कि जवानी अभी जीवित है जाग्रत है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पुनीत जी भैया शुभेन्द्र जी भैया सौरभ राय जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें