2.9.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष अमावस्या विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 2 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११३१ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष  अमावस्या विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  2 सितम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११३१ वां* सार -संक्षेप


परिस्थितियां विषम है भय भ्रम का वातावरण छाया हुआ है हम भ्रमित भयभीत होकर पीड़ित न रहें अपितु आशान्वित रहें और इतने आशान्वित रहें कि इस जन्म में यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है तो अगले जन्म में हो जाएगा ये सदाचार संप्रेषण हमारे लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि हमें आत्मविश्वास, आत्मशक्ति के साथ आत्मगौरव की अनुभूति की आवश्यकता है जो इन संप्रेषणों के विचारों को आत्मसात् करने से हमें प्राप्त हो सकती है 

भगवान् राम के जीवन से हम आत्मविश्वास आत्मशक्ति की प्रेरणा ले सकते हैं कुबेर को पराजित करने वाली भावना में दग्ध विकृत संस्कारों वाला उत्तम कुल में जन्मा शिवोपासक रावण उत्पात मचाए हुए है उसका विकास हो रहा है इसका अर्थ है जितना उसका विकास होता जाएगा उतना सत्पुरुषों का विनाश होता जाएगा

सीता जी का हरण हो जाता है मनुष्य की लीला कर रहे भगवान् राम व्याकुल हो जाते हैं 

 इसका तुलसीदास जी ने बहुत भावमय चित्र खींचा है 


हा गुन खानि जानकी सीता। रूप सील ब्रत नेम पुनीता॥

लछिमन समुझाए बहु भाँति। पूछत चले लता तरु पाँती॥4॥

क्षत विक्षत जटायु मिलता है वह भगवान् राम को पूरी बात बताता है इस व्यथित कर देने वाली घटना में भगवान् राम संकल्प लेते हैं 

जटायु से कहते हैं मेरे पिता से सीता हरण की घटना न कहियेगा 

जौं मैं राम त कुल सहित कहिहि दसानन आइ॥ 31॥


यदि मैं राम हूँ तो दशानन रावण कुटुम्ब सहित वहाँ आकर स्वयं ही कहेगा 

यह है रामत्व ऐसा है पौरुष और पराक्रम 

जब यह समय पर व्यक्त होता है तो इसका प्रभाव होता है 

अद्भुत है राम कथा इसमें हम आनन्दित होते हैं लेकिन उस आनन्द को प्राप्त करने के साथ हमारे ऊपर और क्या प्रभाव पड़ता है यह एक गम्भीर प्रश्न है

राम कथा से हमें संगठन का महत्त्व समझना चाहिए शक्तियां बिखरी हुई थीं उन्हें समेटा 

आज भी यही सत्य है कि बटेंगे तो कटेंगे

इसलिए बहुत ध्यान देने की बात है 


हम ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र की भाषा छोड़ उठें

व्यक्तिगत हानियां लाभ लोभ की आशा  छोड़ उठें

हम केवल यह समझें कि हम भारतवर्ष के हैं 

समाज और देश के लिए जीवित रहने का भाव रखें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया शरद कश्यप का उल्लेख करते हुए किस मन्दिर की चर्चा की अगले जन्म में विवाह करा दूंगा किसने कहा चिराग पासवान का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें