प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन कृष्ण पक्ष षष्ठी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 23 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
११५२ वां सार -संक्षेप
कोई भी संगठन हो उनमें सभी सदस्यों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है चैतन्य से युक्त सदस्य सक्रिय रहते हैं जब किसी सदस्य की सक्रियता कम होती है दूसरा वह दायित्व ले लेता है जिसके सभी सदस्य निष्क्रिय हो जाते हैं वह संगठन इतिहास बन जाता है
समाजोन्नयन के सिद्धान्त पर चलने वाला अपना संगठन युगभारती इतिहास नहीं बन रहा है वह तो अपने स्वरूप के विस्तार में रत है उसी स्वरूप के विस्तार का प्रत्यक्ष प्रमाण आश्चर्य ढंग से सफल हुआ कल का राष्ट्रीय अधिवेशन था जिसमें सभी सदस्यों, जिनके अन्दर पं दीनदयाल जी की साधना समाहित है और जिन्होंने राष्ट्र के अंधकार को छांटने का संकल्प लिया है, ने उत्साह से भाग लिया
परमात्मा की जिन पर विशेष कृपा रहती है वे महापुरुष हो जाते हैं और महापुरुष जिस पथ पर चलते हैं वही पथ हमारे लिए प्रेरणा होता है वही उचित पथ होता है
हम अपने अंदर की संचेतना को जाग्रत रखें ताकि कार्य और व्यवहार की समीक्षा कर सकें संगठित रहें अच्छा अच्छा देखें अच्छा अच्छा ही सुनें अच्छे के साथ हमारा मानस भी निर्मल होता जाएगा
खानपान जागरण शयन व्यवस्थित रखें अध्ययन और लेखन में रुचि जाग्रत करें
अगले वर्ष दिल्ली में अधिवेशन है उसकी तैयारी हम अभी से प्रारम्भ कर दें जो योजना बनाएं जो विचार आएं उन्हें लिख लें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने आज किन महापुरुषों का नाम लिया भैया संतोष मिश्र जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें