प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 24 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११५३ वां* सार -संक्षेप
आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित करते हैं ताकि हम विविध क्षेत्रों में कार्य करते हुए अपने परिवार को चलाते हुए देश की सेवा में समर्पित रहें हम यह भाव रखें कि अपने परिवार की तरह युगभारती भी हमारा परिवार है यह राष्ट्र हमारा बड़ा परिवार है जिसके लिए हमारे भाव विचार क्रिया सारे समर्पित रहें जिस तरह विदेश में रहने वाले व्यक्ति अपने इस देश में रहने वाले पारिवारिक सदस्यों की खोज खबर लेते हैं उनकी चिन्ता करते हैं उसी प्रकार
पखेरू! भले छत छुओ व्योम की,
पर धरा पर तुम्हे लौट आना पड़ेगा
निराधार आधेय को अंत में तो,
सहारा यहीं का दिलाना पड़ेगा
शिशु पाल सिंह
यह हमारी धरा है जो विश्राम के लिए है वह गगन है जो उड़ने के लिए है यह हमारी मातृभूमि है इस भाव का कभी परित्याग नहीं करना चाहिए संसार में कहीं रहें किन्तु इस धरती से संयुत रहें इसका कण कण वन्दनीय अर्चनीय पूजनीय है
विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमस्वमेव'
आदि मन्त्र हमें जाग्रत करते हैं इनसे हमें अपने देश के प्रति अपनी परंपरा के प्रति विश्वास पैदा होता है
इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश के चर्चित जिलाधिकारी भैया विकास जी, भैया संतोष मिश्र जी ने आचार्य जी को कौन सी पुस्तकें दीं आचार्य जी ने प्रसिद्ध लेखक कृष्णानन्द सागर जी की पुस्तक "भारत की तेजस्वी नारियां " की चर्चा क्यों की भैया शरद जी का नाम क्यों लिया चिन्तना किसका संगठन है अधिवेशन के विषय में आज आचार्य जी ने क्या कहा जानने के लिए सुनें