प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 8 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११३७ वां* सार -संक्षेप
हमें आत्मदर्शन की चेष्टा करनी चाहिए और इसमें भगवान् कृष्ण और भगवान् राम के कार्य और व्यवहार देखने चाहिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान् राम के कार्य और व्यवहार को आनन्दपूर्वक मानस में प्रस्तुत कर दिया जिसे बार बार देखने का मन करता है इसी प्रकार गीता भी प्रसिद्ध हुई यह ऋषियों का ज्ञान --प्रसाद है इस प्रसाद की अनुभूति से जब हम आनन्दित होते हैं तो हमें शब्द और विचार तो मिलते ही हैं व्यावहारिक बात भी सामने आ जाती है
तपस्वी जयस्वी गुडाकेश और भगवान् कृष्ण का परम मित्र अर्जुन ऐसे समय में शिथिल हो जाता है जब युद्ध की पूरी तैयारी हो चुकी है वह भ्रमित हो जाता है
उसमें कायरता दिखी वह मोहांध हो गया तब भगवान् कृष्ण उसे कर्तव्य -बोध कराते हैं इसी कारण गीता का ज्ञान अद्भुत है
हमें इससे शक्ति मिलती है कवि महत्त्वपूर्ण हैं हम अपने कवित्व को धार देने का प्रयास करें
चन्द बरदाई का उदाहरण हमारे सामने है वह अन्त तक पृथ्वीराज के साथ रहा
कवयः क्रान्तदर्शिनः
सारी अभिव्यक्तियां काव्यमय है परमात्मा की रची सृष्टि भी काव्यमय है सभी रस काव्यमय हैं उन रसों की उचित समय पर पहचान अनुभूति और अभिव्यक्ति नहीं है तो हम कायर हैं कायरता और वीरता जीवन में हमारे साथ साथ चलती है
भगवान् कृष्ण अर्जुन से कहते हैं
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।।2.2।।
तुम्हारे स्वभाव में कालुष्य और कायरता का आना नितान्त विरुद्ध विषय है। तब यह तुम्हारे में कैसे आ गयी?
आचार्य जी ने अनार्यजुष्टम् को स्पष्ट किया जो जीवन मूल्य को नहीं समझते हैं वे अनार्य हैं जीवन केवल खाना पीना नहीं हैं आर्य वे जिन्हें मनुष्यत्व की अनुभूति होती है आर्य प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों में अपने कल्याण का ही उद्देश्य रखते हैं।
यह हमारे भारतीय जीवन दर्शन की विशेषता है हमें इसे आत्मसात् करना चाहिए और बच्चों को उनके स्तर का आकलन कर उसी ढंग से बताना चाहिए अन्य को भी उनके स्तर को देखकर समझाएं संगठन तभी महत्त्वपूर्ण होता है जो अनुकूल न लगें उन पर ध्यान न दें जो अनुकूल हों उन्हें संगठित करें
प्रतिकूल लोगों में शक्ति क्षय न करें वे हमारी शक्ति देखकर भय से साथ आ जाएंगे
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बांग्लादेश और छात्रावास का क्या प्रसंग बताया जंगल जंजाल में युगभारती को क्या करना है आदि जानने के लिए सुनें