28.9.24

[9/28, 06:27] Praveen: प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 28 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११५७ वां* सार -संक्षेप [9/28, 07:22] Praveen: आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 28 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११५७ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन कृष्ण पक्ष  एकादशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  28 सितम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११५७ वां* सार -संक्षेप

आचार्य जी का नित्य प्रयास रहता है कि हमारी यह पात्रता बनी रही कि हनुमान जी हमको शक्ति बुद्धि विचार आनन्द प्रदान करें

 और हमारा कर्तव्य है कि हम यह पात्रता अगली पीढ़ी को देने का प्रयास करें

 कभी निराशा को अपने पास हम फटकने न दें 

गीता मानस उपनिषद् आदि का अध्ययन करें 

लेखन भी करें संयम साधना में मन लगाएं 

और शौर्य प्रमंडित अध्यात्म की अनुभूति करें क्योंकि 


हमारे देश की तासीर संयम-साधना की है 

मनस्वी चिंतना की और मधुमय भावना की है 

मगर खल दुष्ट दानव के जभी अतिचार बढ़ते हैं

तभी यमपाश का बंधन जकड़ कर बाँधना की है।


और इसी कारण हम राष्ट्रभक्तों को संगठित रहना अनिवार्य है 


संगठन परिवार-भावों का सहज विस्तार है 

और अपने हृदय के मधुरिम स्वरों का तार है 

संगठन शिवशक्ति-तत्वों का अनोखा हार है 

और दैवी शक्ति का दानव-दलन का सार है। 

अतः भ्रम भय त्याग कर शुभ संगठन-हित जागिए 

स्वार्थ सुख सुविधा प्रमादी भावना को त्यागिए।


हमारा सनातन धर्म वैभव ऐश्वर्य पद प्रतिष्ठा वाली बाह्यदृष्टि से इतर प्रेम आत्मीयता ममत्व  परिवार -भाव परमार्थ संयम साधना समर्पण तप त्याग मधुमय भावना चिन्तन मनन वाली अन्तर्दृष्टि का धनी है वह संपूर्ण वसुधा को ही अपना कुटुम्ब मानता है 


यह अन्तर्दृष्टि ही अध्यात्म का प्रकटीकरण कही जा सकती है


आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हाल में सम्पन्न हुए अधिवेशन के संस्मरणों को हम लोग लिखें और उन्हें एकत्र करें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा जी के किस कार्य की सराहना की भांग गांजे का उल्लेख क्यों हुआ ब्राह्मी का नाम क्यों आया जानने के लिए सुनें