15.10.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आश्विन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 15 अक्टूबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११७४ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  15 अक्टूबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११७४ वां* सार -संक्षेप

हम लोगों से लगाव के कारण भावना सम्पन्न आचार्य जी संसारत्व से मुक्त रहकर नित्य हमें प्रेरित करते हैं और हम संसारी भावों में घिरे आत्मीय जनों को आगाह करते हैं 

कल आचार्य जी ने विस्तार से बताया था कि सेवा के कितने प्रकार हैं वल्लभाचार्य के अनुसार सेवा के कितने स्वरूप हैं आदि

आज आचार्य जी उसी का और विस्तार कर रहे हैं 


मर्यादा सेवा के अन्तर्गत ज्ञान पूजन भजन श्रवण आदि के द्वारा सायुज्य की कामना की जाती है 

सायुज्य अर्थात् भगवान् के साथ रहना जिसके कारण हमारे पास शक्ति बुद्धि ज्ञान विवेक वैराग्य आदि रहेंगे



मर्यादा सेवा में उन्मुक्त समर्पण नहीं है जब कि पुष्टि सेवा में विधि निषेध रहित उन्मुक्त समर्पण है


सूरदास पुष्टि मार्ग के जहाज कहे जाते थे 


आजु हौं एक-एक करि टरिहौं।

के तुमहीं के हमहीं, माधौ, अपुन भरोसे लरिहौं।

हौं तौ पतित सात पीढिन कौ, पतिते ह्वै निस्तरिहौं।

अब हौं उघरि नच्यो चाहत हौं, तुम्हे बिरद बिन करिहौं।

कत अपनी परतीति नसावत, मैं पायौ हरि हीरा।

सूर पतित तबहीं उठिहै, प्रभु, जब हँसि दैहौ बीरा।


इसी प्रकार तुलसीदास कहते हैं 


मैं हरि, पतित पावन सुने।

मैं पतित, तुम पतित-पावन, दोउ बानक बने॥


अगर हम पतित नहीं होंगे तो आपका पतित -पावन नाम कैसे होगा


इस कारण हम पतित ही रहना चाहते हैं यह बाल- हठ के समान है 


आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि अर्जुन पुष्टि मार्ग के किस प्रकार आदर्श हैं


इसी प्रकार जिन देशभक्तों ने भगवान के स्थान पर भारत माता को रख दिया तो वे हंसते हंसते फांसी का फंदा अपने गले में डाल लेते थे और कामना करते थे कि फिर उनका जन्म इसी धरती पर हो ताकि वे और अधिक भारत मां की सेवा कर सकें 


हम लोग भी कुछ इसी प्रकार के जीवन में आंशिक रूप से प्रविष्ट हैं


हम अखंड भारत के उपासक हैं हम इसी के लिए जीवित हैं 

बहुत से संकट हमें घेरे हैं एक ओर इनकी बात होती है और दूसरी ओर ये सदाचारमय विचारों का प्रवाह चलता है हमें इनमें सामञ्जस्य बैठाना है

.इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा जी भैया मुकेश जी की चर्चा क्यों की स्वास्थ्य शिविर में क्यों जाना चाहिए जानने के लिए सुनें