प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 19 अक्टूबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११७८ वां* सार -संक्षेप
आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हम चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय में रत हों अपनी संतानों की दिशा दृष्टि सही रखने के लिए हम अत्यधिक परिश्रम करें केवल उनको धनार्जन के लिए ही तैयार न करें किसी भी कार्य को अच्छे ढंग से करें कर्मरत रहें शक्ति के अर्जन हेतु हर तरह का प्रयास करें अपना आकलन करते रहें
ढोंगी महाजनों से प्रभावित न हों उनसे सम्मोहित न हों
देहाभिमान संसाराभिमान के निरसन हेतु वन्दना करें
(देव दनुज नर नाग खग प्रेत पितर गंधर्ब।
बंदउँ किंनर रजनिचर कृपा करहु अब सर्ब॥)
पुराणों उपनिषदों मानस गीता आदि का अध्ययन करें
मानस अद्भुत कथात्मक ग्रंथ है इसमें ज्ञान भक्ति वैराग्य के लिए बाल कांड और उत्तर कांड हैं
अपना चिन्तन पंगु न करें
शौर्य प्रमंडित अध्यात्म की अनुभूति करें
शक्ति का अर्जन विसर्जन दम्भ का
मुक्ति का भर्जन भजन प्रारम्भ का
संगठन संयमन युग की साधना है
देशहित शुभ शक्तियों को बाँधना
है
नित्य प्रातः यही शिवसंकल्प जागे
पराश्रयता का यहाँ से भूत भागे
उठें अपनों को उठायें कर्मरत हों
बुद्धिमत्ता सहित हम सब धर्मरत हों l
इसके अतिरिक्त भैया संतोष मिश्र जी ने किस दर्शन की चर्चा की जानने के लिए सुनें