25.10.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का कार्तिक कृष्ण पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 25 अक्टूबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११८४ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक कृष्ण पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  25 अक्टूबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११८४ वां* सार -संक्षेप


इन सदाचार संप्रेषणों के विचारों को ग्रहण कर हम अपने दोषों का निरसन करने का यत्न करें हमें प्रयास करना चाहिए कि सतत संतोष कैसे बना रहे अपने गुणों दोषों का आत्मविवेचन कर हम अपने मनुष्यत्व को निखार सकते हैं  क्योंकि मनुष्य से मनुष्यत्व की यात्रा संसार का आनन्दमय प्राप्तव्य है हम अपने रहस्यों से भरपूर शास्त्रीय ग्रंथों का अध्ययन भी करें 


उत्साहसम्पन्नमदीर्घ सूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेश्वसक्तम्  |

शूरं  कृतज्ञं दृढसौहृदं   च  लक्ष्मी  स्वयं याति  निवासहेतौः  ||   -


जो मनुष्य उत्साही , तुरन्त कार्य संपन्न करने वाले ,कार्यकुशल, दुर्व्यसनों  से विरत रहने वाले , साहस से भरपूर ,  कृतज्ञ और मित्रता निभाने वाले होते  हैं , ऐसे मनुष्यों के घर लक्ष्मी स्वयं  निवास करने हेतु जाती हैं

आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि भ्रमित सती की अपेक्षा परम शुद्ध पार्वती, जिनका संसारत्व विलीन हो गया,से शिव क्यों संयुत हुए 

संसारत्व विलीन कर हम भी ईश्वर से संयुत हो सकते हैं 


बोलीं गिरिजा बचन बर मनहुँ प्रेम रस सानि॥


मां पार्वती भगवान् शिव से प्रश्न पूछ रही हैं अपनी जिज्ञासा शान्त करना चाहती हैं 

राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी। सर्ब रहित सब उर पुर बासी॥


नाथ धरेउ नरतनु केहि हेतू।

तो भगवान शिव प्रसन्न होकर बतलाने लगते हैं 


राम अतर्क्य बुद्धि मन बानी। मत हमार अस सुनहि सयानी॥

तदपि संत मुनि बेद पुराना। जस कछु कहहिं स्वमति अनुमाना॥

भोगवादियों दुष्टों के नाश के लिए हमें रामत्व की अनुभूति करनी है भगवान् राम के गुणों शक्ति भक्ति संयम समर्पण सेवा त्याग की अनुभूति करें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा जी भैया संतोष मिश्र जी का नाम क्यों लिया तीन यज्ञोपवीत कौन धारण करते हैं सर्वसहा कौन है 

स्वास्थ्य मेले में रामत्व से क्या तात्पर्य है जानने के लिए सुनें