प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 27 अक्टूबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११८६ वां* सार -संक्षेप
अपने वैदिक चिन्तन के विश्लेषणात्मक स्वरूप को आधुनिक रूप में कैसे सामने लाया जाए यह हम लोगों के लिए एक गम्भीर विषय है हम लोग वैदिक साहित्य के अध्ययन की गहराइयों में जाने का प्रयास करें
आज स्वास्थ्य मेला है हम लोग प्रयास करें कि जो भी अपने गांव सरौंहां जाने के इच्छुक हों उन्हें उत्साहित प्रेरित करें कि वे वहां पहुंचें
हम अपने उद्देश्य का ध्यान रखें आनन्दपूर्वक सेवा करें दवाई देने के साथ गांव वालों को हम लोग अपने चारों सोपानों के आधार पर प्रशिक्षित भी करें
लालची लोगों पर भी नजर रखें गांव वालों में मुफ्तखोरी का भाव न आए हम इस बात का प्रयास करें कि उनमें स्वस्थता का भाव जागे खानपान में भी ध्यान दें क्योंकि गांव में ऊर्जा है अद्भुत प्रकृति की सन्निधि उन्हें प्राप्त है
आगे की योजनाएं बनाएं
राष्ट्र और समाज के संवर्धन में जितने भी क्षेत्र हैं उनमें हम रुचि के अनुसार अपनी पैठ रखें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी आज रात्रि में क्यों जागे विषम परिस्थितियों की चर्चा आचार्य जी ने क्यों की जानने के लिए सुनें