28.10.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 28 अक्टूबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११८७ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  28 अक्टूबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११८७ वां* सार -संक्षेप

हमें दिशा दृष्टि मिल सके हम भय और भ्रम के मकड़जाल से निकल सकें विभिन्न संस्कृतियों के आधार अपने सनातन धर्म की विशेषताओं को जान सकें अपने ऋषियों जिनके लिए संपूर्ण वसुधा ही कुटुम्ब है जो एक ही सत्य को भिन्न प्रकार से कहते हैं के भाव -विस्तार को जान सकें ऋषित्व और ईश्वरत्व की अनुभूति कर सकें अपने भावों को उदात्त कर सकें सांसारिक अहंकार को त्याग सकें हमारे अन्दर की शक्ति,बुद्धि, विवेक, विचार, संयम,तप, साधना,अध्ययन, स्वाध्याय आदि का समय पर  हमारे द्वारा सदुपयोग हो सके दुष्टों से सामना कैसे कर सकें भक्ति के साथ शक्ति की अनुभूति कर सांसारिक समरोद्देश में पराजित न हो सकें संसार में आने की अपनी भूमिका पहचान सकें इसके लिए आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं 

आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि हम आत्म को परमात्म से संयुत करने के लिए नित्य कुछ समय निकालें ताकि दिन भर के हम अपने सांसारिक क्षरण की भरपाई कर सकें



इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने माता जी का उल्लेख क्यों किया भैया मनीष कृष्णा जी भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी भैया मोहन कृष्ण जी भैया प्रवीण सारस्वत जी भैया उमेश्वर जी भैया नवीन भार्गव जी का नाम क्यों लिया कौन से चित्र देखकर आचार्य जी भावुक हुए  आवेश में आकर हत्या करने वाले हत्यारों की हत्या अवश्य होगी किसने कहा था जानने के लिए सुनें