प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 4 अक्टूबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*११६३ वां* सार -संक्षेप
हमारे सामने अनेक प्रपंच आते रहते हैं किन्तु हमें एक ऐसा समय निर्धारित करना चाहिए जब हम आत्मस्थ हो सकें अपने पास बैठ सकें अर्थात् उपासना करने का समय निकाल सकें
क्योंकि अपने भीतर ही परमात्मा विद्यमान है
नित्यो नित्यानां चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधाति कामान्।
तत्कारणं सांख्ययोगाधिगम्यं ज्ञात्वा देवं मुच्यते सर्वपाशैः॥
सब अनित्य अर्थात् अस्थायी और असत् से इतर एकमात्र नित्यतत्त्व' है, समस्त चेतनताओं में वही एकमात्र 'चेतन-तत्त्व' है अनेक की कामनाओं को वह ही एक परिपूर्ण करता है वही एकमात्र 'मूलकारण-स्वरूप' है जिस पर सांख्य एवं योग हमें ले जाते हैं। यदि तुम इसको अर्थात् परमात्मा को जान लो तो तुम समस्त बन्धनों से मुक्त हो जाओगे।
इसी तरह कठोपनिषद् में है
नित्योऽनित्यानां चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधाति कामान्।
तमात्मस्थं येऽनुपश्यन्ति धीरास्तेषां शान्तिः शाश्वती नेतरेषाम् ॥
प्रातःकाल प्राप्त ये सदाचार संप्रेषण हमें आत्मशोध का अवसर प्रदान कर सकते हैं चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् की अनुभूति करा सकते हैं हमारे अन्दर की सुप्त ऊर्जा के दर्शन करा सकते हैं बस इसके लिए आवश्यक है हम इन पर विश्वास करें
सतत संकल्प को साथी बनाकर चल पड़ो प्यारे
जमाने की शिकायत हर बसर के साथ बैठी है
निराशा हर समय पुरुषार्थ से डरती सहमती है
खड़ी हो जाए पौरुष-ढिग कि उसकी यही हेठी है।
हमारा जीवनदर्शन अद्भुत है इसका रहस्य यदि कुछ क्षणों के लिए ही हमें समझ में आ जाए तो अध्यात्म और पुरुषार्थ को हम संयुत कर लेते हैं
भटकाव वाले आधुनिक इतिहास से उबरने के लिए हमें गीता मानस उपनिषदों ब्रह्मसूत्र आदि का अध्ययन करना चाहिए
जो समाज समीक्षा से दूर हो जाता है वह अपने को हानि पहुंचाता है भटकाव से बचने के लिए हमें जाग्रत विवेक का स्थान स्थान पर प्रसार करना चाहिए
हमारा यह उद्देश्य कतई नहीं होना चाहिए कि हम कमाने वाली शिक्षा ग्रहण करें अपने बच्चों को भी वही शिक्षा दें कमाएं और फिर मर जाएं घुन की तरह न बनें
जीने के लिए खाना है या खाने के लिए जीना है इसकी समीक्षा करें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पंकज जी का नाम क्यों लिया कहां शोर मचा कि चोर आ रहे हैं कहां प्रश्नावली बन रही थी दूसरी दियासलाई लाने के लिए किसने कहा जानने के लिए सुनें