1.11.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 1 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११९१ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  1 नवम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११९१ वां* सार -संक्षेप


साधनाएं अनेक होती हैं लेकिन सिद्धि एक ही है 

 वह सिद्धि है -अपने भीतर जो ईश्वरत्व की उपस्थिति है उसकी अनुभूति होना 

विद्या और अविद्या दोनों को हमें ठीक प्रकार से जानना चाहिए संसार के साथ उसके सार को समझना चाहिए हमें इसी जन्म में संसार के सारे रहस्यों को समझते हुए उचित मार्ग का चयन करना चाहिए हमें संसार में रहते हुए संसार के कष्टों व्याधियों व्याकुलताओं की समीक्षा करनी चाहिए हम अपनी दृष्टि स्पष्ट रखें हम कौन हैं कहां से आए हैं और हमें क्या करना चाहिए 

हमारे लक्ष्य में व्यक्तित्व का निर्माण स्पष्ट है 

राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष 

यही लक्ष्य है हमारा

हमें विभिन्न आवरण धारण करने हैं 

जाति पंथ के भेदभाव से ऊपर उठें त्यागपूर्वक उपभोग करें 

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि अध्ययन करें तो इसके साथ रहस्यों को भी समझें भावों को विस्तार दें 

यह सत्य है कि हमारी शक्ति देखकर लोगों को हमसे अनुरक्ति होगी 

हमें जहां से भी प्रेरणा मिले उसे लें 


जो महापुरुष विशेष प्रेरणा देते हैं उनमें स्वदेश की रक्षा में सक्रिय योगदान देने वाले गुरुगोविन्द सिंह एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रेरक विचार विश्वास शक्ति के अवतार हैं वे शौर्यप्रमंडित अध्यात्म का एक अप्रतिम उदाहरण हैं



इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने सिख धर्म की पहली महिला योद्धा माई भागो (माता भाग कौर ) की चर्चा क्यों की भावुक कर देने वाली पुस्तक गोविन्द -गाथा की चर्चा क्यों हुई  सौरभ चतुर्वेदी भैया की चर्चा क्यों हुई मुक्तसर चमकौर निहंग का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें