11.11.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 11 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२०१ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर ) 11 नवम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२०१ वां* सार -संक्षेप


अध्यात्म कर्म विचार संयम साधना के चिन्तन और मन्थन की गति सदैव हमारे अन्दर बनी रहनी चाहिए 

हम जिस कुटुम्ब के अंश है वह भारतीय जीवन पद्धति का एक महत्त्वपूर्ण चिन्तन वर्ग है उस वर्ग में शिक्षा के साथ अनेक सामाजिक क्षेत्र हैं उस कुटुम्ब के अंश होने के कारण हम भारतीय जीवन शैली भारतीय धर्म ग्रंथों शास्त्रोक्त विचारों का अनुसरण करते हैं

हम यह जानते हैं कि हमारा समाज हमारे आत्म का विस्तार ही है 

हमारी वैचारिक संस्था युगभारती भी उसी का ही अनुसरण करती है जिसमें अनेक ऐसे सदस्य हैं जिनके कार्य हमें आश्चर्य, उत्साह और आनन्द से भर देते हैं अनेक उदाहरण हैं जैसे भैया प्रवीण भागवत का कार्य भैया विजय दीक्षित ३०० वंचित बच्चों के अभिभावक बनकर हमें गौरवान्वित कर रहे हैं 

अच्छे परिवार अपनों के उत्कर्ष को देखकर सदा ही आनन्दित होते हैं 

हम आत्मचिन्तन आत्ममन्थन आत्मशोधन करें और तत्पश्चात् उस शुद्धि का प्रसारण करें अपने बहुआयामी जीवन में जो काम हमारे लिए अनुकूल है उनके लिए प्रयास अवश्य करें अच्छे कार्य के नैरन्तर्य को कभी न त्यागें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मोहन जी भैया आलोक सांवल जी का नाम क्यों लिया 

बिरसा मुंडा छात्रावास क्यों चर्चा में आया जानने के लिए सुनें