प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 13 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२०३ वां* सार -संक्षेप
ये सदाचार अत्यन्त प्रभावी और प्रामाणिक हैं क्योंकि इनमें चिन्तन मनन अध्ययन और स्वाध्याय के आधार से उपजे जो विचार आचार्य जी प्रस्तुत करते हैं वे अद्भुत हैं
और हम शिक्षार्थियों को जो, संसार की समस्याओं में घिरे रहने के बाद भी समाजोन्मुख राष्ट्रोन्मुख हैं, ज्ञानसम्पन्न बना रहे हैं
श्रीरामचरित मानस की कथा अद्भुत है
कथा रोचक तो होनी चाहिए किन्तु मात्र मनोरञ्जक नहीं
रामकथा सुंदर कर तारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी। सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥
शिव जी कह रहे हैं कि यह कथा हाथ की एक अतिसुंदर ताली है, जो संदेह रूपी पक्षियों को उड़ा देती है और कलियुगरूपी वृक्ष को काटने हेतु एक कुल्हाड़ी जैसी है इस कारण हे गिरिराजकुमारी! आप इसे आदरपूर्वक सुनिए
संदेह संशय मनुष्य के जीवन में बना ही रहता है जब कि सुनिश्चितता यदि हो तो ईश्वरत्व का प्रवेश हो जाता है इस कारण क्योंकि यह कथा हमारे भ्रम विभ्रम संशय संदेह दूर करती है इसलिए महत्त्वपूर्ण हो जाती है हम कभी विश्वास ही नहीं कर पाते कि हम पूर्ण हैं
वेद कहते हैं
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥'
वह सच्चिदानंदघन परब्रह्म पुरुषोत्तम परमात्मा सभी प्रकार से सदा सर्वदा परिपूर्ण है। यह जगत् भी उस परब्रह्म से पूर्ण है, क्योंकि यह पूर्ण उस पूर्ण पुरुषोत्तम से ही उत्पन्न हुआ है।
हमें विश्वास करना चाहिए कि हम पूर्ण हैं
इस कथा का उत्तरकांड बहुत महत्त्वपूर्ण है ज्योंही रामराज्य स्थापित हुआ तीनों लोकों में हर्ष व्याप्त हो गया और इस प्रकार यह सुकाल हो गया
इस कथा को समझने के लिए भीतर से बाहर तक पावित्र्य चाहिए
इसके अतिरिक्त आचार्य जी के पास नागरी प्रचारिणी सभा वाले कोष के कौन से खंड नहीं हैं
राहुल गांधी का कौन सा भाव अच्छा है जानने के लिए सुनें