16.11.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 16 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२०६ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१

  (कालयुक्त संवत्सर ) 16 नवम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२०६ वां* सार -संक्षेप


मनुष्य के साथ आचरण पर सनातन धर्म में गहन चिन्तन किया गया है

अपरा विद्या अर्थात् भौतिक विद्या में ही उलझे रहना सही नहीं है इसके साथ हमें परा विद्या पर भी ध्यान देना चाहिए


भारतवर्ष में उत्थान पतन वैभव अभाव की एक अद्भुत प्रक्रिया चलती रहती है इस कारण शौर्य प्रमंडित अध्यात्म आज की आवश्यकता है


दैवासुर संग्राम चलता ही रहा है


इसमें हमें असुरों को लेकर बहुत व्याकुल नहीं होना चाहिए


अध्यात्म रामायण में सीता माता के वनवास का प्रसंग है


अध्यात्म रामायण ब्रह्माण्ड पुराण का उत्तर खंड है पौराणिक रचनाएं द्वापर युग में उपस्थित भगवान् व्यास द्वारा की गई हैं और भगवान् वाल्मीकि की उपस्थिति त्रेता युग में है

राम की कथा अत्यन्त गूढ़ कथा है

इसे मनोरंजन के लिए कहना आसान है किन्तु 

राम की कथा में प्रवेश करके, आत्मसात् करके उसे समझाने की दृष्टि से कहना तप का काम है


स्वस्थ व्यक्ति ही इसे कह सकता है इस कथा का आनन्द ही अद्भुत है


इसके अतिरिक्त काल गणना के लिए कौन सी पुस्तक है


पुनर्जन्म के विषय में आचार्य जी ने क्या बताया भैया पंकज जी भैया विनय जी का उल्लेख क्यों हुआ 

वाल्मीकि और तुलसीदास में क्या समानता है


तुलसीकृत मानस में क्या सम्मिलित नहीं  था जानने के लिए सुनें