राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार।
सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार॥ 33॥
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 19 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२०९ वां* सार -संक्षेप
ये सदाचार संप्रेषणों के श्रवण से हम अपने समय का सदुपयोग कर सकते हैं हमें इसका लाभ उठाना चाहिए हमें परिपूर्ण बनाने का व्यवस्थित विचारों का अजस्र प्रवाह इनकी विशेषता है
इनके माध्यम से हम सांसारिक बाधाओं से सरल ढंग से निपट सकने की योग्यता प्राप्त कर सकते हैं
आइये प्रवेश करें आज की वेला में
संसार अपार अखंडित जीवन दर्शन है
यह स्रष्टा का सुविचार प्रसार प्रदर्शन है
इसमें सुख शान्ति सत्य मिथ्या का मिश्रण है
मानव इसका बहुरूप धारता चित्रण है
मानव ही विविध रंग रूप धारण करता है पशु यदि शाकाहारी है तो वह मांस का भक्षण नहीं करेगा जब कि मनुष्य शाकाहारी भी होता है और मांसाहारी भी होता है मनुष्य वीर भी होता है और कायर भी होता है कोई त्यागी होता है कोई भोगी होता है
इसका अर्थ है मनुष्य को परमात्मा ने कुछ विशिष्टता प्रदान की है बुद्धि विचार शक्ति का अद्भुत सम्मिश्रण उसे मिला है
वास्तव में मनुष्य का मनुष्यत्व एक अद्भुत प्रहेलिका है जिसे हमारे ऋषियों द्रष्टाओं ने बूझने का प्रयास किया है
मनुष्यत्व एक अद्भुत तत्त्व है अतिविशिष्ट शक्ति है और वह हमारे अंदर अवस्थित है
यह भाव हमारे अन्दर कुछ समय के लिए ही यदि आ जाएगा तो हम अपने कार्यक्षेत्र से बाहर निकलकर अपने बारे में चिन्तन करने लगेंगे
और तब हमें लगेगा कि हम विशिष्ट हैं
हमारे ऋषियों ने भक्ति का चिन्तन किया है उसके पीछे विश्वास की अवधारणा है ज्ञान पर अडिग विश्वास होना हमें बहुत सहारा देता है हम उसी से संयुत होते हैं जिसके प्रति हमें विश्वास हो जाता है
यह हमारा है यह तुम्हारा है यह संसार का अद्भुत स्वरूप और स्वभाव है जिनमें यह हमारापन विस्तार ले लेता है वे ऋषित्व की श्रेणी में पहुंच जाते हैं
आचार्य जी ने
राम अनंत अनंत गुनानी। जन्म कर्म अनंत नामानी॥
जल सीकर महि रज गनि जाहीं। रघुपति चरित न बरनि सिराहीं॥2॥
कहने वाले तुलसीदास जी के जीवन के बारे में आज क्या बताया विनय पत्रिका और हनुमान बाहुक में अन्तिम रचना उनकी कौन सी थी भक्ति का आश्रय लेने से हमें क्या लाभ मिलेगा जानने के लिए सुनें