प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 24 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२१४ वां* सार -संक्षेप
अध्ययन, स्वाध्याय, चिन्तन, मनन, निदिध्यासन और स्मृतियों के आधार पर,किन्तु अनेक प्रपंचों के पाश में फंसने और विषम परिस्थितियों में घिरे रहने के पश्चात् भी , नित्य आचार्य जी अपना बहुमूल्य समय देकर हमें प्रेरित करते हैं यह हमारा परम सौभाग्य है हमें इसका लाभ उठाना चाहिए और आत्मस्थ होने की चेष्टा भी करनी चाहिए
विद्यालय के समय से प्रारम्भ इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से आचार्य जी समस्याओं का चिन्तन करते हुए और समाधानों के उपाय सुझाते हुए हमें प्रबोधित करने का प्रयास करते हैं
श्रीरामचरित मानस एक अद्भुत कथात्मक प्रबोधात्मक ग्रंथ है इस ग्रंथ में कथा और इतिहास का अप्रतिम मिश्रण है
इस ग्रंथ की अद्भुतता अवर्णनीय है विषम परिस्थितियों से घिरी अयोध्या में तुलसीदास जी ने कथा लिखी रामजन्मभूमि को तोड़कर वहां मस्जिद बना दी गई थी और इसका कारण यह था कि हमारे यहां का पुरुषार्थ पराभूत हो गया था जिस व्यक्ति जाति वंश समाज का पुरुषार्थ पराजित हो जाता है उसमें मनुष्यत्व विलुप्त रहता है
शिव के भी परमभक्त तुलसीदास जी पढ़े लिखे थे यह इस छंद से स्पष्ट हो जाता है
वर्णानां अर्थसंघानां रसानां छंद सामपि। मंगलानां च कत्र्तारौ वंदे वाणीविनायकौ।।
उन दिनों शैव और वैष्णव विवाद भी चल रहा था भ्रमित करने के लिए अपने स्वरूपों को परिवर्तित करने में समर्थ कालनेमि सदृश अकबर शासन कर रहा था
भारतवर्ष की मनीषा ऐसे कालनेमियों के वश में हो गई
जिसका परिणाम यह हुआ कि तथाकथित गुलामी अभ्यास में आ गई
ऐसे कालनेमियों से हमें अब भी सावधान रहने की आवश्यकता है
रामकथा मंगल करने वाली है हम उस प्रसंग में चलते हैं जब विदुषी राजनीतिवेत्ता युद्धविद्या -विशारद कैकेयी जिनके चरित्र को अद्भुत ढंग से साकेत ग्रंथ में प्रस्तुत किया गया है भगवान् राम को वन जाने के लिए तैयार करती हैं क्योंकि राम रावण को मारने के लिए ही अवतरित होकर आए हैं तो उन्हें यह काम करना ही है और संसार में भ्रमित नहीं होना है
'तापस वेष बिसेषि उदासी, चौदह बरिस रामु बनबासी'
यहां देखने की बात है कि मनुष्य रूप में अवतरित भगवान् राम का वेश तो तपस्वियों जैसा हो उनका उदासीन भाव भी हो किन्तु
मां कैकेयी उनका धनुषबाण नहीं उतरवातीं उन्हें और भी अस्त्र शस्त्र दिए वे राष्ट्र की रक्षा के लिए भगवान् राम को सुसज्ज करके भेजती हैं ऐसा अद्भुत चरित्र है देश के प्रति अनुरक्त मां कैकेयी का
धरा को अकुलाती देखकर आहत हुई मां उन्हें वन भेजने के बाद जीवनपर्यन्त अशांत रहीं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कथावाचक रामकिंकर जी की कथा में पानी बरसने से संबन्धित क्या प्रसंग बताया मनुष्य कर्मयोनि है या भोगयोनि जानने के लिए सुनें