28.11.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 28 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२१८ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर ) 28 नवम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२१८ वां* सार -संक्षेप


लोक -चिन्तन, राष्ट्र -चिन्तन, समाज -चिन्तन, संसार -चिन्तन, जीवन -चिन्तन आदि मनुष्य की चैतन्य वृत्ति का भाव रूप है

हम राष्ट्र भक्त भावों से भरे हैं 

कोई एक अच्छा गुण अभ्यास में आ जाए तो अच्छी बात है और कोई दुर्गुण अभ्यास में अवस्थित रहे यह अच्छी बात नहीं है

प्रयास करें आज से अभी से कि हम एक सद्गुण धारण करेंगे 

यह वेला आचरण, आचरण के अभ्यास और राष्ट्रीय चिन्तन की वेला है


हम सत्कर्मों में संयुत रहें आचार्य जी ऐसी अपेक्षा करते हैं

हम इन वेलाओं में गहराई से प्रवेश करें स्वयं समझते हुए नई पीढ़ी को समझा सकें कि हमारी संस्कृति हमारे ग्रंथ हमारी साधना और सिद्धियां अत्यन्त अद्भुत हैं यहां अनेक पारगामी विद्वान रहें हैं  शौर्य प्रमंडित अध्यात्म पर यहां बहुत बल दिया गया है और भारतभूमि धरती का स्वर्ग है


श्रीरामचरित मानस का आधार लेकर

इसके रचयिता ने अपना सामाजिक जीवन जीते हुए भक्तिपथ को अपनाया भक्ति अर्थात् विश्वास 

जब प्रभु राम हमारे साथ हैं तो हमें भय और भ्रम क्यों


भक्ति और शक्ति को प्रदर्शित करते मानस और विनय पत्रिका उनके गम्भीर तात्विक ऐतिहासिक विचारणीय मार्गदर्शक ग्रंथ हैं 

उन्होंने सिद्ध किया कि बिना शक्ति के भक्ति नहीं होती 

रामराज्य की उनकी कल्पना अद्भुत है रामराज्य ऐसा कि विपरीत प्रकृति के व्यक्ति प्रभाव के कारण उपद्रव नहीं करते

मनुष्य के दुष्कर्मों से धरती का क्या होता है ऋषि क्या जानता 

गंधर्व लोक का वर्णन किसमें विस्तार से है  मनुष्य कब महान् है आदि जानने के लिए सुनें