भारत का कण कण हिंदू हिंदुत्व सनातन संस्कृति है
बाकी सब मजहबोन्माद उद्दण्ड भाव की विकृति है,
यह विश्वास हमारे तन मन जीवन का शृंगार बने
इस विश्वास शौर्य संबल के साथ प्रेम का राग सुनें।
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 29 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२१९ वां* सार -संक्षेप
हमें रामत्व की अनुभूति कराने वाले ताकि हम निशाचरों से निपटने के लिए शक्ति का प्रदर्शन कर सकें,समाज को जाग्रत कराने वाले, हमें अपने सनातन धर्म और संस्कृति से परिचित कराने वाले इन सदाचार संप्रेषणों को सुनने के पश्चात् हम अपनी वाणी द्वारा इन्हें प्रसरित भी करें ताकि हमारा भाव संयुत हो सके हमें इनसे शक्ति तो प्राप्त होगी ही
नर का हमें जो वेश मिला है उस चुनौती को स्वीकारते हुए
आइये प्रवेश करें राम कथा में
भगवान् राम के जन्म का हेतु क्या था आइये जानने का प्रयास करें
राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका॥
सोइ जस गाइ भगत भव तरहीं। कृपासिंधु जन हित तनु धरहीं॥
भक्तों के हित के भगवान शरीर धारण करते हैं
जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा। तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा॥
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा। लेहउँ दिनकर बंस उदारा॥
हे मुनि, सिद्ध और देवताओं के स्वामियों ! भयभीत मत होएं आपके लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूँगा और पावन सूर्यवंश में अंशों सहित मनुष्य के रूप में अवतार लूँगा।
भगवान् राम धनुष बाण धारण किए हुए हैं शारङ्गधर भगवान् राम
यह शौर्य प्रमंडित अध्यात्म की पुष्टि करता है तुलसीदास जी मात्र कवि ही नहीं थे उन्होंने समाज की सेवा की काशी की रामलीला के संस्थापक भी बने उन्होंने संकटमोचन मन्दिर बनवाया वे एक अद्भुत द्रष्टा स्रष्टा विचारक भी थे
इसके अतिरिक्त आचार्य ने बताया ॐ का उच्चारण परा पश्यन्ती वैखरी तीनों का मेल है
धीरेन्द्र शास्त्री का उल्लेख क्यों हुआ गीता में किसकी परम्परा दी गई है दिनकर की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें