3.11.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 3 नवम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण ११९३ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  3 नवम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  ११९३ वां सार -संक्षेप


हम  चाहे आमिषप्रिय हों या निरामिष देशभक्ति की भावना को तो हमें धारण करना ही चाहिए और ईमानदार भी रहना चाहिए 

आहार एक अलग विषय है और व्यवहार अलग विषय है जिनका आहार और व्यवहार दोनों ही पवित्र सनातनानुकूल हो जाते हैं वो विशिष्ट हो जाते हैं हम सामान्य रहते हुए भी ईमानदारी देशप्रेम संगठन प्रेम आत्मीयता  शक्ति -संवर्धन समाजोन्मुखता की भावना को तो वरण कर ही सकते हैं

सूक्ष्म तत्व के जाग्रत होने पर स्थूल तत्व उसके पीछे भागा चला जाता है 


जो जहां है वहीं की समीक्षा करे


आत्मबल की स्वयं ही परीक्षा वरे 


संगठन -भाव क्षण भर न ओझल रहे 


देश के प्रेम की शीश शिक्षा धरे


जो देश के लिए समर्पित हो रहा हो उसके प्रति अपने मन में भाव भक्ति विश्वास रहे हम शक्ति की आराधना भी करें क्योंकि इस समय भारत पर संकटों के बादल छाए हुए हैं देवासुर संग्राम चल रहा है इसमें छल बल भी आवश्यक है दीनदयाल जी की नृशंस हत्या से विक्षुब्ध हम लोगों ने एक संकल्प लिया है

 वो भाव हम लोगों के नहीं मिटने चाहिए 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कार्तिक मास की पवित्रता के विषय में क्या बताया वर्तमान प्रधानाचार्य श्री राकेश राम त्रिपाठी जी का उल्लेख क्यों किया भैया पंकज जी भैया मनीष जी भैया उमेश्वर जी का नाम क्यों लिया 

आगामी चुनावों में हम क्या ध्यान रखें गृहस्थ आश्रम क्यों विशेष है जानने के लिए सुनें