11.12.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 11 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२३१ वां* सार -संक्षेप

 अग्ने अस्मान् राये सुपथा नय। देव विश्वानि वयुनानि विद्वान् अस्मत् जुहुराणाम् एनः युयोधि ते भूयिष्ठां नम विधेम ॥

(ईशावास्योपनिषद्)

सब व्यक्त वस्तुओं के जानने वाले हे अग्निदेव! हम लोगों को सुपथ से, उत्तम मार्ग से आनन्द की ओर ले चलिए ; पाप का कुटिलता से भरा आकर्षण हमारे अन्दर से हटा दीजिए , दूर कर दीजिए आपके प्रति समर्पण  की सर्वाङ्गपूर्ण वाणी हम निवेदित करें।


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर ) 11 दिसंबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२३१ वां* सार -संक्षेप


भावों को भाषाबद्ध करो कर्मठता हित 

वैभव विलास के चिन्तन को कुछ क्षण छोड़ो

प्रातः कुछ क्षण के लिए रहो उत्साह प्रमन 

निस्तेज जवानी को तेजस पथ पर मोड़ो

 हमारी जवानी को निस्तेज करने का कुत्सित प्रयास किया गया शिक्षा से भ्रमित किया गया अंग्रेजी का महिमामण्डन किया गया हमें यह समझ में आ जाना चाहिए


स्वशक्ति हिंदुराष्ट्र की विकीर्ण है इतस्ततः 

स्वकर्म धर्म सीखती रही विदेश से अतः 

हुए निराश या हताश शक्ति के अभाव में 

रहे बहुत दिनों तलक विदेश के प्रभाव में 


 इसलिए अब सचेत होकर हम तेजस पथ की ओर उन्मुख हों धर्माधरित धनार्जन करें हमारे यहां की शिक्षा अद्भुत है वेदों से लेकर मानस तक विलक्षण साहित्य है 


हमारी संस्कृति त्यागमयी संस्कृति है हमारी संस्था युगभारती की प्रार्थना के प्रथम छंद में ही इसकी झलक भी मिल रही है 

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्‌ ॥

किन्तु मात्र कार्यक्रमों में प्रार्थना को कहना हमें शिक्षित और संस्कारित नहीं कर पाएगा प्रशिक्षित भले ही कर दे

इसलिए हम मन्त्र के जप की तरह अपनी प्रार्थना को मन ही मन बोलते रहें जिसका प्रथम छंद 

ईशावास्योपनिषद्

से लिया गया है 

आचार्य जी ने ईशावास्योपनिषद् को पढ़ने का परामर्श दिया इसमें कुल अठारह ही छंद हैं इन्हें पढ़ने के साथ इन पर विचार भी करें आचरण में भी उतारें इस प्रयास से बिना संदेह हमें शक्ति मिलेगी ही हम यह अनुभूति करने लगें कि हम आत्मा हैं शरीर नश्वर है तो हमारा मरण भी मंगलमय होगा


Personality development से क्या व्यक्तित्व विकसित हो जाएगा 

डा राजबलि पांडेय जी, रज्जू भैया जी की चर्चा क्यों की भैया पवन मिश्र जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए  सुनें