प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 16 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२३६ वां* सार -संक्षेप
हमारे निकट राष्ट्रीय शक्ति के संवर्धन हेतु जो भी कार्यव्यवहार चल रहे हों हम उनमें सम्मिलित हों और उनके अनुकूल व्यवहार भी करें
विचारपूर्वक व्यवहार करें और उस व्यवहार के प्रभाव की समीक्षा भी करें
आकलन करें कि समाज को इससे क्या लाभ मिला क्योंकि समाज एक सिन्धु है और हम उसके बिन्दु हैं
सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी।।
हमने राष्ट्र -सेवा में सन्नद्ध रहने का संकल्प लिया है युग भारती से इतर राष्ट्र -सेवा में जो भी रत हैं वे भी हमारे साथी सहयोगी हैं हमें यह मानना चाहिए
राष्ट्र -सेवा की दिशा में अध्यात्म पर आधारित ऐसा ही एक एकत्रीकरण कल हुआ
५१ कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं पावन प्रज्ञा पुराण कथा नामक कार्यक्रम का कल भूमिपूजन सम्पन्न हुआ और मियांगंज से हसनगंज तक की कलशयात्रा निकली
ये सदाचार संप्रेषण हमें अत्यन्त उत्साहित करते हैं हमें सही दिशा में चलने का हौसला देते हैं हमारे विकारों को दूर करने की प्रेरणा देते हैं हमें प्रवाहपतित होने से बचाते हैं सदाचार धर्म का एक भाग है धर्म एक विस्तृत विषय है किन्तु अर्थ -संकोच के कारण यह संकुचित विषय जैसा लगने लगा
जब कि
मनुस्मृति के अनुसार धर्म है
वेदः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियमात्मनः। एतच्चतुर्विधं प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य लक्षणम्॥
आचार्य जी ने इस छंद की व्याख्या की इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बलराम सिंह परिहार बहन मायावती का उल्लेख क्यों किया भैया मुकेश जी के घर के विषय में आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिए सुनें