2.12.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 2 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२२२ वां* सार -संक्षेप

 भावनाओं का भले हो भरा पारावार 

लेकिन शक्तिमय निष्ठा समय की माँग है प्यारे 

इसलिए दृढ़ तन गहन मन और शिव जीवन 

सतत अभ्यास में लाओ मिलो  परिवार के सारे


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर ) 2 दिसंबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२२२ वां* सार -संक्षेप


हमारी संसार में इतनी अधिक लिप्तता रहती है कि हम अपने को विस्मृत करे रहते हैं यह अनुचित है इस कारण हमें आत्मानुभूति करनी चाहिए

ईस्वर अंस जीव अबिनासी। चेतन अमल सहज सुख रासी॥1॥


 हम मनुष्य हैं यही क्या कम है किन्तु हमें मनुष्यत्व की अनुभूति भी करनी चाहिए इसी अनुभूति से  ब्रह्मत्व की अनुभूति करने वाले हमारे ऋषियों ने संपूर्ण वसुधा को ही अपना कुटुम्ब माना यह मनुष्यत्व का विस्तार अद्भुत है

मनुष्य पशुओं अमीबा प्रोटियस आदि से भिन्न है पशु एक सा आचार व्यवहार करते हैं हम परमात्मा के अद्भुत अंश अंशांश हैं वीरों चिन्तकों विचारकों ज्ञानियों भक्तों में परमात्मा का अंश अवश्य ही है इसे झुठलाया नहीं जा सकता और हममें भी है भले कम हो 

आचार्य जी ने श्रुति और स्मृति के अर्थ स्पष्ट किए हमारे यहां अनेक स्मृतियां हैं जैसे 

मनुस्मृति

याज्ञवल्क्य स्मृति

अत्रि स्मृति

विष्णु स्मृति

हारीत स्मृति

औशनस स्मृति

अंगिरा स्मृति

यम स्मृति

कात्यायन स्मृति

बृहस्पति स्मृति

पराशर स्मृति

व्यास स्मृति

दक्ष स्मृति

गौतम स्मृति

वशिष्ठ स्मृति

आपस्तम्ब स्मृति

संवर्त स्मृति

शंख स्मृति

लिखित स्मृति

देवल स्मृति

शतातप स्मृति


हमारे ऋषियों ने ज्ञान का भंडार संचित किया और उन्हें व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता भी पाई किन्तु हम और हमारी भावी पीढ़ी इससे अनभिज्ञ रही 

कारण :

ये समय समय का फेरा है

कब क्या हो किसने जाना है

समय का नियन्त्रक परमात्मा है उस परमात्मा की जब हम अनुभूति करेंगे तो आनन्द मिलेगा 

चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पंकज जी का नाम क्यों लिया परमात्मा हमसे किस प्रकार प्रभावित हो सकता है आदि जानने के लिए सुनें