22.12.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का पौष कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 22 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२४२ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर ) 22 दिसंबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२४२ वां* सार -संक्षेप


हमारी प्रच्छन्न शक्तियों को जाग्रत करने लिए आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं यह भगवान् की कृपा है


सांसारिक प्रपंचों को जिस क्षण हम विस्मृत कर देते हैं उस क्षण हम कहते हैं चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम्

कोई एक भाव हम यदि ग्रहण करें और उसके अभ्यास को न त्यागें तो वह हमारी शक्ति बन जाता है  हम गुणों को ग्रहण करते चलें दोषों को त्यागने की दिशा में चलते रहें तो हमारा कल्याण होगा अपनी धरती को भोगभूमि नहीं मानें  हमारा देश अद्भुत है इसकी अद्भुतता की अनुभूति न करने पर हम व्याकुल होते हैं संबन्धों के विस्तार त्याग धन की अधिक कामना करना गलत है आत्म को विस्मृत करने पर  भी हम बेचैन होते हैं 

यदि हम सांसारिक प्रपंचों को विस्मृत नहीं कर पाते तो अच्छी बात कहकर भी उसका अनुपालन नहीं कर पाते इसका अर्थ है हम सत्त्व के अभ्यासी नहीं हैं

विभूतिमत्ता का अनुभव करने पर हम अहंकारी नहीं रह जाते हमें लगता है जो कर रहा है परमात्मा ही कर रहा है और परमात्मा सब अच्छा ही करता है  जो कुछ संसार में है सब ईश्वर का ही तो है आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि 

जो भी सांसारिक कर्म करें उसे पूजा भाव से करें 

कभी कर्तव्य-पथ से ध्यान टुक हटने न देना है 

कभी निज शक्ति मेधा को भ्रमित बँटने न देना है 

अभी मंजिल भले ही दूर हो पर धैर्य संयम तो 

परिस्थिति कोई हो उसको कभी घटने न देना है।

 आचार्य जी ने कन्नौज की चर्चा करते हुए बताया कि ऋषि ऋचीक का विवाह राजा गाधि की बेटी सत्यवती से हुआ था विवाह के लिए राजा गाधि ने एक हजार श्यामकर्ण अश्व ऋषि से मांगे तो ऋषि ने वरुण देव से कहकर अश्व वहीं प्रकट कर दिए


आचार्य जी ने परामर्श दिया कि राष्ट्र -भक्त संस्थाओं से अपनी संस्था को संयुत करते चलें नई पीढ़ी को सनातन धर्म भारतीय संस्कृति से परिचित कराएं 

इसके अतिरिक्त परशुराम कुंड की चर्चा क्यों हुई आज की बैठक का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें