प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 23 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२४३ वां* सार -संक्षेप
ये सदाचार संप्रेषण दूरस्थ शिक्षा का एक विलक्षण माध्यम बन गए हैं जिनमें ज्ञान ध्यान चिन्तन अध्ययन स्वाध्याय समाजोन्मुखता शास्त्रीय चिन्तन सांसारिक व्यवहार आदि समाहित है हमें इनका लाभ उठाना चाहिए आइये प्रवेश करें आज की वेला में
गीता का एक श्लोक है
यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः
समुद्रमेवाभिमुखा द्रवन्ति।
तथा तवामी नरलोकवीरा
विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति।।11.28।।
जिस प्रकार नदियों के अनेक जलप्रवाह समुद्र की ओर वेग से बहते हैं, उसी प्रकार मनुष्यलोक के वीर योद्धागण आपके प्रज्वलित मुखों में प्रवेश करते हैं।।
इसी प्रकार एक सिद्धान्त "वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः " के लिए अनेक संस्थाएं कार्यरत हैं
पं दीनदयाल जी के बलिदान के भाव से उपजी युगभारती ऐसी ही एक जीवन्त संस्था है
हमने अपने भारत राष्ट्र के लिए कमर कसी है वैदिक चिन्तन भी उसी से संबन्धित कार्य है
ऋग्वेद की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने पूर्त शब्द का उल्लेख किया और बताया कि अनेक लोकोपकारी धार्मिक कार्य हैं जैसे कुएं बनबाना तालाब बनवाना विद्यालय बनवाना बाग धर्मशाला का निर्माण ये सभी पूर्त कार्य हैं
युगभारती चार स्तंभों शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलम्बन सुरक्षा के आधार पर कार्य कर रही है जिसमें उन्नाव स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर विद्यालय शिक्षा का एक माडल है कल इसी विद्यालय की प्रबन्धकारिणी समिति की बैठक थी जिसमें एक प्रस्ताव पारित हुआ उस प्रस्ताव के बारे में युगभारती अपनी कार्यकारिणी में विचार करेगी
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा जी भैया प्रदीप वाजपेयी जी भैया वीरेन्द्र जी भैया मोहन जी भैया अभय जी भैया मुकेश जी का नाम क्यों लिया पं मदन मोहन मालवीय का उल्लेख क्यों हुआ औरास के राष्ट्रीय विद्यालय और कुम्भ की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें
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