प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 27 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२४७ वां* सार -संक्षेप
हमारा लक्ष्य यूं तो वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः है ही हम अपना लक्ष्य यह भी बनाएं कि हमें अपने संगठन युगभारती को आजीवन जीवित जाग्रत रखना है और यह जाग्रत तब रहेगा जब हम स्वयं जाग्रत रहेंगे अपने विकारों को दूर करते चलेंगे इन सदाचार संप्रेषणों का उद्देश्य भी यही है कि आचार्य जी के हम भावांश अपने विकार दूर करें सामाजिक चिन्तन का चाव रखें,भारतीय संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं में योगदान करें राष्ट्र के लिए जाग्रत पुरोहित बनें, कुटुम्ब आधारित भारत में अपने कुटुम्बी के शारीरिक मानसिक भौतिक आध्यात्मिक कष्ट को दूर करें इन वेलाओं के हर क्षण का आनन्द लेते हुए अपनी शक्ति शौर्य पराक्रम का संवर्धन करें किन्तु विनम्रता का त्याग किए बिना
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने
१७ सितम्बर १९५७ को एक मध्यवर्ग गुजराती ब्राह्मण परिवार में दिवंगत श्री वैकुंठनाथ जी नागर और श्रीमती लक्ष्मी नागर के घर, प्रयाग में गंगा नदी के तट पर बसे दारागंज में जन्मे सुन्दर कांड के अद्भुत वाचक श्री अजय याज्ञिक की चर्चा क्यों की भैया पुनीत श्रीवास्तव जी का उल्लेख क्यों हुआ भैया नीरज मैली चादर वाले क्या सहायता चाहते हैं भैया नीरज कुमार जी १९८१ का नाम क्यों आया १९७५ बैच के अगले वर्ष ५० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं तो हमें क्या करना है भैया मुकेश जी का जनरेटर से संबन्धित क्या प्रकरण था भैया विकास जी का फरवरी वाला क्या कार्यक्रम है जानने के लिए सुनें