29.12.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का पौष कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 29 दिसंबर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *१२४९ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर ) 29 दिसंबर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२४९ वां* सार -संक्षेप


नाम रूपात्मक जगत्  एक बहुत ही गहरा और दार्शनिक विचार है

 हमारा जगत् नाम और रूप से बना हुआ है। यह विचार हमें यह स्मरण कराता है कि इस जगत् में सब कुछ नाम और रूप से जुड़ा हुआ है नाम के साथ भाव संयुत है जैसे भारत नाम आते हमारे भाव उससे संयुत हो जाते  हैं 

 इस जगत् में भारत का अपना वैशिष्ट्य है  आचार्य जी की भावभूमि के जाग्रत स्वरूप के रूप में विद्यमान हम लोगों को उसी वैशिष्ट्य के दर्शन कराने का प्रयास आचार्य जी करते हैं

भारत भगवान् राम की कर्मभूमि है मानस में एक प्रसंग है अयोध्या कांड का 

 प्रसंग है भगवान राम के लिए निषादराज से लक्ष्मण कहते हैं कि इन्हें मात्र अपना मित्र न समझें 


भगत भूमि भूसुर सुरभि सुर हित लागि कृपाल।

करत चरित धरि मनुज तनु सुनत मिटहिं जग जाल॥93॥


वही कृपालु प्रभु श्री राम भक्त, भूमि, ब्राह्मण, गाय और देवताओं के कल्याण हेतु मनुष्य शरीर धारण करके लीलाएँ करते हैं, जिनके सुनने मात्र से जगत् के जंजाल मिट जाते हैं

यही हमारे सबके मन में भी आना चाहिए हम उन्हीं के अंश हैं समय समय पर रामत्व प्रकट भी होता है 

हमें समाज और देश के लिए कुछ करना है यह भाव रखें आत्मीयता का विस्तार करें 


उठें प्रात: सभी उत्साह का उत्सव मनाने को

निशा में नींद के पहले कि कुछ यह गुनगुनाने को 

बड़ा सौभाग्य है अपना कि भारतभूमि में जन्मे 

स्वयं की कर्मनिष्ठा शौर्य नवयुग को सुनाने को




फल की आकांक्षा किए बिना हम कर्म करने में विश्वास करते हैं हम यह भी मानते हैं कि हम अक्षर हैं अविनाशी हैं चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् 



इसी तरह दीनदयाल विद्यालय का नाम आते ही हमारे भाव उससे संयुत हो जाते हैं 

पं दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन कर्म और चैतन्य एक एक स्वयंसेवक में अत्यन्त मार्मिक स्वरूप में विद्यमान था क्योंकि दुष्टों ने उनकी हत्या कर दी थी और तब विचार आया कि अनेक दीनदयाल खड़े किए जाएंगे और इस तरह दीनदयाल विद्यालय प्रारम्भ हो गया जिसके हम छात्र रहे हैं यह विद्यालय आत्म का विस्तार है शक्ति की संकल्पना है


आज इसी विद्यालय के हम पूर्वछात्रों द्वारा संचालित संस्था युगभारती का एक विशेष कार्यक्रम है जिसमें आप सभी सादर आमन्त्रित हैं 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने श्री अशोक सिंघल जी का नाम क्यों लिया जब विद्यालय में labs बन गईं तो एक छात्र ने क्या कहा था जानने के लिए सुनें