हम उपासक सूर्य के फिर क्यों तिमिर से भय..
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति )का सदाचार सम्प्रेषण
*१२६५ वां* सार -संक्षेप
स्वयं को भावी पीढ़ी, जो अपनी व्यावहारिक पढ़ाई में तत्त्व खोजने का भाव रखे,के लिए एक शिक्षक और अपने तत्त्वदर्शी महान् भारतवर्ष
माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः पर्जन्यः पिता स उ नः पिपर्तु
(अथर्ववेद के १२वें कांड, सूक्त १ की १२वीं ऋचा )
के एक सेवक के रूप में समझने का भाव रखते हुए, मनुष्य के रूप में अपने कर्तव्य की अनुभूति करते हुए और यह विश्वास रखते हुए कि हम तत्त्व हैं शक्ति हैं और विभु आत्मा के अंश हैं शास्त्रीय भावों के प्रति श्रद्धा रखते हुए
संसार में छाए हुए अंधकार को कुछ मात्रा में ही सही दूर करने का संकल्प लेते हुए, संसार का आनन्द लेने वाले भाव को अपने अंदर स्थान देते हुए प्रवेश करें आज की ज्ञानवर्धक तात्विक सदाचार वेला में
आज मकर संक्रान्ति है संक्रान्ति का अर्थ है सम्यक् रूपेण क्रान्ति है जो
सूर्य का एक राशि का अग्रिम राशि में प्रवेश
ज्योतिष की गणना में हमारे यहां बारह राशियां और सत्ताइस नक्षत्र हैं
सूर्य प्राणदाता है इस
समय महाकुम्भ प्रारम्भ हो चुका है
महाकुंभ में कुल तीन अमृत स्नान होंगे, जिसमें से पहला अमृत स्नान आज है
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम घर में ही गंगा जल से स्नान कर लें यदि गंगा में स्नान नहीं करते हैं
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती । नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥ बोलें
आज दान भी करें
हमारे मन में नित्य रामत्व का भाव आए प्रतिदिन हमारे भावों में राम जन्मते रहें
जोग लगन गृह वार तिथि, सकल भये अनुकूल। चर अरु अचर हर्ष जुत राम जनम सुख मूल।।
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि संगठन के भले के लिए हम अपने किसी भी साथी की उपेक्षा न करें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया विनय वर्मा जी भैया अरविन्द तिवारी जी का नाम क्यों लिया शूद्र क्यों विशिष्ट है अद्वैत सिद्धान्त क्या है जानने के लिए सुनें