15.1.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 15 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२६६ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष  द्वितीया तिथि विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 15 जनवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२६६ वां* सार -संक्षेप


इन सदाचार संप्रेषणों में विभिन्न विषय समाहित हैं वे विषय कभी आचार्य जी के अध्ययन और स्वाध्याय के आधार पर होते हैं कभी स्मृतियों से संबन्धित और कभी तात्कालिक


और उद्देश्य,इस विश्वास के साथ कि हम अणु आत्मा विभु आत्मा के आदेश का पालन करते हुए कार्य कर रहे हैं और यह समझते हुए भी कि संसार की जो भी समस्याएं आती हैं वो हमारी धार तेज करती हैं कार्य कर रहे हैं ,यह रहता है कि हमारे अन्दर का भावनात्मक पक्ष बुद्धि से होते हुए समाज में संस्कार का कारण बने क्योंकि समाज के लिए शोध की अत्यन्त आवश्यकता है हम उसके भ्रम भय का निवारण कर सकें सर्वत्र व्याप्त अंधकार में उजाला फैला सकें हम स्वयं ध्यान पूजन कीर्तन सत्संगति भजन द्वारा विकारमय जीवन से मुक्त हो सकें 


और कुछ ऐसे होते हैं जो दुर्योधन की तरह होते हैं विकारों से घिर जाने के कारण  विकार उनका विचार बन जाता है दुर्योधन कहता है 


जानामि धर्मं न च मे 

प्रवृत्तिर्जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः।

केनापि देवेन हृदि स्थितेन यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि।। (गर्गसंहिता अश्वमेध0 50। 36)


'मैं धर्म को जानता हूँ, पर उसमें मेरी प्रवृत्ति नहीं हो पाती और अधर्म का भी ज्ञान है पर उससे मेरी निवृत्ति नहीं होती। मेरे हृदय में स्थित कोई देव है, जो  जैसा करवाता है, वैसा ही मैं करता हूँ।'


हमें दुर्योधन से इतर सोचना है 

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम प्रयागराज चित्रकूट काशी और अयोध्या का एक कार्यक्रम बनाएं

चित्रकूट एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण साधना स्थल है  अत्रि और अनुसूया का वहां आश्रम रहा है वह प्रभु राम की कर्मभूमि है रामराज्य की भूमिका चित्रकूट से प्रारम्भ हुई  

नानाजी देशमुख जी की भी यह कर्मभूमि रही 

जिस सत्र में विद्यालय प्रारम्भ हुआ उसी सत्र में जनवरी माह में छठवीं कक्षा के अठारह छात्र चित्रकूट गए थे


इसके अतिरिक्त भैया विकास जी भैया आलोक जी सतना वाले भैया अरविन्द जी भैया राघवेन्द्र जी आचार्य जी राज करण जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया 

रेल के डिब्बे में बीड़ी वाला क्या प्रसंग था जानने के लिए सुनें