प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 16 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२६७ वां* सार -संक्षेप
नित्य इन सदाचार संप्रेषणों से आचार्य जी हमें उत्थित उत्साहित कराते हैं हमें स्मरण कराते हैं कि स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः
आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हमारी सद्ग्रंथों के अध्ययन के प्रति रुचि में वृद्धि हो और स्वाध्याय में मन लगे
ताकि किसी विषय का हम त्वरित निर्णय ले सकें,हम साधक संस्कारयुक्त जीवन के साथ द्विजत्व प्राप्त कर समाज सेवार्थ प्रवृत्त हो सकें हम निश्चिन्तता प्राप्त करने के लिए परमात्माश्रित रहें, ऐसे भाव हमारे अन्दर प्रविष्ट हों कि हम राम कहते हुए जागें राम कहते हुए सोएं, हमारी अवतारवाद की महत्ता को जानने में रुचि जाग्रत हो सके
पराश्रयता से हम बचें ताकि हमारा जीवन कष्ट में न व्यतीत हो
(पराश्रयता :जैसे अंग्रेजी भाषा जानना बुरा नहीं है किन्तु अंग्रेजी भावों में प्रवेश करना गलत है ) हम सुशिक्षितों को संगठित करने का प्रयत्न करें ताकि उनके माध्यम से समस्याओं का समाधान हो सके
इसी आधार पर आइये प्रवेश करें आज की वेला में
जैसा हम जानते हैं चित्रकूट के कार्यक्रम का आयोजन भैया विकास मिश्र जी कर रहे हैं प्रश्न है चित्रकूट हमें क्यों चलना चाहिए
इसका उत्तर देते हुए आचार्य जी बता रहे हैं
चित्रकूट में ही भगवान् राम का संपूर्ण कार्यक्षेत्र परिपुष्ट हुआ वह उनका साधना स्थल रहा यहां मन्दाकिनी नदी है
चित्रकूट महिमा अमित कही महामुनि गाइ।
आइ नहाए सरित बर सिय समेत दोउ भाइ॥132॥
नदी पुनीत पुरान बखानी। अत्रिप्रिया निज तप बल आनी॥
सुरसरि धार नाउँ मंदाकिनि। जो सब पातक पोतक डाकिनि॥3॥
चित्रकूट में पवित्र नदी है जिसकी पुराणों ने प्रशंसा की है अत्रि ऋषि की पत्नी अनसूया अपने तपोबल से लाई थीं। वह गंगाजी की धारा है,नाम है मंदाकिनी वह सब पाप रूपी बालकों को खा डालने के लिए एक डायन है
नाना जी का यह चित्रकूट केन्द्र रहा
वहां जाने का अर्थ है कि हम साधकों का एकत्रीकरण हो सके
यह एक विशेष उद्देश्य है क्यों कि कलियुग में संगठन बहुत महत्त्वपूर्ण है
इसके अतिरिक्त १९ जनवरी को कहां बैठक है नाना जी देशमुख जी के संकल्प को पूर्ण करने के लिए हम क्या कर सकते हैं भैया पुनीत जी भैया मोहन जी क्यों चर्चा में आए जानने के लिए सुनें